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    मध्य प्रदेश में भाजपा नेता प्रहलाद लोधी की विधायकी का मामला अधर में लटका हुआ है। इस मामले को लेकर शुक्रवार को विधानसभाध्यक्ष एन. पी. प्रजापति से नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मुलाकात की और उनसे चर्चा की। भोपाल की विशेष अदालत द्वारा लोधी को दो साल कारावास की सजा सुनाए जाने पर विधानसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर लोधी की सदस्यता खत्म कर दी थी। इसके खिलाफ लोधी ने उच्च न्यायालय जबलपुर में अपील की, जिस पर उन्हें स्थगन मिल गया। इसके बाद से भाजपा लगातार लोधी की सदस्यता बहाल करने की मांग कर रही है।

    भाजपा के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधानसभाध्यक्ष प्रजापति से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, “लोधी की सदस्यता बहाल की जाए, इस मामले में उनकी विधानसभाध्यक्ष से चर्चा हुई। अगर लोधी की सदस्यता बहाल नहीं की जाती है, फिर पार्टी का क्या रुख रहेगा, इस पर आपस में बैठक कर पार्टी के नेता तय करेंगे।”

    वहीं दूसरी ओर विधानसभाध्यक्ष प्रजापति ने विपक्षी दल द्वारा की गई बयानबाजी पर दुख जताया। उन्होंने कहा, “विधानसभाध्यक्ष किसी दल का नहीं होता, निष्पक्ष हेाता है। इसलिए इस तरह की बयानबाजी ठीक नहीं है।”

    ज्ञात हो कि 31 अक्टूबर, 2019 को सांसदों, विधायकों के मामलों की सुनवाई कर रहे भोपाल के विशेष न्यायाधीश सुरेश सिंह की कोर्ट ने भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी सहित 12 लोगों को बलवा, मारपीट और गाली-गलौज करने के मामले में दोषी करार देते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी और 3,500 रुपये जुर्माना लगाया था। इसी फैसले को अपील में चुनौती दी गई थी।

    उच्च न्यायालय द्वारा लोधी को दी गई राहत के खिलाफ राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय गई है, लेकिन अभी उस पर सुनवाई होना शेष है। इस तरह लोधी की विधानसभा सदस्यता का मामला अटका हुआ है।

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