मध्य प्रदेश में बिजली सियासी मुद्दा बना हुआ है। सत्ता बदलाव के बाद से बिजली व्यवस्था में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं, कई बार बिजली दरों में बढ़ोतरी की भी चर्चा हुई, मगर राज्य के ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने साफ कर दिया है कि राज्य सरकार के पास बिजली दरों में बढ़ोतरी का कोई प्रस्ताव नहीं है।
कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद बिजली व्यवस्था में सुधार के दावे किए, वहीं भाजपा ने किसानों को जरूरत के मुताबिक बिजली न मिलने के आरोप लगाए, साथ ही उपभोक्ताओं को हजारों रुपये के मनमाने बिल जारी किए जाने के भी आरोप लगे।
सरकार की ओर से किसानों को 10 घंटे बिजली आपूर्ति किए जाने के दावे किए गए, मगर भाजपा इन आरोपों को नकारती रही। बिजली राज्य में बड़ा सियासी मुद्दा बना हुआ है।
राज्य सरकार घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लागू की गई इंदिरा गृह ज्योति योजना को राहत देने वाली योजना बता रही है, साथ ही दावा किया जा रहा है कि जिन उपभोक्ताओं की 30 दिन की मासिक बिजली खपत 150 यूनिट से कम है, उसे 100 यूनिट की खपत का 100 रुपये बिल दिया जा रहा है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के घरेलू उपभोक्ताओं को 30 यूनिट तक की मासिक खपत के लिए मात्र 25 रुपये की राशि देय होगी।
सूत्रों का कहना है कि इंदिरा गृह ज्योति योजना से अभी तक एक करोड़ 86 हजार (92 प्रतिशत) से अधिक उपभोक्ताओं को लाभ मिला है। योजना में प्रतिवर्ष लगभग 3400 करोड़ रूपये की सब्सिडी शासन द्वारा दी जाएगी।
राज्य सरकार की इंदिरा गृह ज्योति योजना पर भाजपा लगातार सवाल उठाती रही है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पिछले दिनों सागर में प्रदर्शन कर बढ़े हुए बिजली बिलों की होली जलाई गई गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने किसानों का बिजली बिल हाफ करने की बात कही थी, मगर किसानों को हजारों रुपये के बिल आ रहे हैं।
ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने कहा है कि किसानों को खेती के लिए लगातार 12 घंटे बिजली देने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। वहीं प्रदेश में विरासत में मिली खस्ताहाल विद्युत कंपनियों की स्थिति में सुधार लाने के प्रयास जारी हैं।
बिजली उपभोक्ताओं के गड़बड़ बिजली बिल आने की शिकायतों पर मंत्री ने कहा, “विद्युत उपभोक्ताओं के गलत देयकों से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए हर जिले में विद्युत वितरण केंद्रवार समिति का गठन किया गया है। प्रदेश में कुल 1210 समितियां गठित की गई हैं। वहीं विद्युत प्रदाय की शिकायतों के निराकरण के लिए डायल 100 सेवा की तर्ज पर जबलपुर, भोपाल और इंदौर में स्थापित केन्द्रीकृत कॉल सेंटर सेवा में कार्यरत डेस्क की संख्या बढ़ाकर सेवा को सुदृढ़ बनाया गया है।”