मध्य प्रदेश चुनाव से 13 दिन पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने 53 विद्रोही नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निकाल दिया है। आगामी चुनावों से पहले बड़ा कदम उठाते हुए पार्टी ने सीनियर नेता सरताज सिंह, पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुस्मारिआ और भिंड से विधायक नरेंद्र कुशवाहा को पार्टी से निष्काषित कर दिया है।
सरताज सिंह ने सेओनी-मालवा विधानसभा सीट से टिकट न मिलने के बाद रोते हुए पिछले हफ्ते कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था और कांग्रेस ने उन्हें होशंगाबाद से उम्मीदवार घोषित कर दिया। सरताज सिंह दो बार विधायक रह चुके हैं। जबकि रामकृष्ण कुसमरिआ ने निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है।
पूर्व ग्वालियर मेयर समीक्षा गुप्ता, लता मेहसाकी, धीरज पटेरिया और राज कुमार यादव को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। ग्वालियर की पूर्व मेयर समीक्षा गुप्ता ने तो खुद ही पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी। कुस्मारिआ की तरह गुप्ता भी निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी।
सभी उम्मीदवारों के नाम घोषित होने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों को बागियों से जूझना पड़ रहा है।
मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं। दोनों पार्टियों का मानना है कि बागियों का चुनाव लड़ना कम से कम 30 सीटों पर असर डाल सकता है।
कार्यकर्ताओं के अलावा परिवार में भी टिकटन मिलने से बगावत छिड़ गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह ने दो हफ्ते पहले भाजपा से टिकट न मिलने पर कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था और शिवराज चौहान की आलोचना करते हुए उन्हें हारने का प्रण लिया था।
जहाँ एक ओर 15 सालों से सत्ता में काबिज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने चौथे कार्यकाल के लिए कोशिश कर रहे हैं वही कांग्रेस मध्य प्रदेश में अपना 15 सालों का वनवास खत्म करने की कोशिश में है। लेकिन दोनों दलों के बागी उनका खेल बिगाड़ने के लिए कमर कस चुके हैं।
राज्य में 28 नवम्बर को वोट डाले जाएंगे जबकि 11 दिसंबर को चुनाव परिणाम की घोषणा की जायेगी।