मध्य प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा पोषण आहार वितरण व्यवस्था में बदलाव करने की चल रही कोशिश पर भाजपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने गुरुवार को बड़ा हमला बोला है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार पोषण आहार का काम दलालों को सौंपने जा रही है, और मंत्रिमंडल ने इसका निर्णय भी ले लिया है।
भार्गव ने ट्वीट किया, “कुपोषण को दूर करने के लिए दो वर्ष पूर्व मेरे पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए हमारी सरकार ने पोषण आहार के इस कार्य को महिलाओं के स्व सहायता समूह को देने का निर्णय लिया था, ताकि बच्चों तक सुव्यवस्थित आहार पहुंचे और महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर हों।”
उन्होंने आगे कहा, “भाजपा सरकार में पोषण आहार का यह कार्य आजीविका मिशन के माध्यम से किया जाना था। जिसके साथ पोषण आहार के नए प्लांट बनकर तैयार भी हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट और इंदौर हाइकोर्ट ने भी इस बारे में निर्देश दिए थे। वहीं कमलनाथ सरकार ने बुधवार को कैबिनेट में सुप्रीम कोर्ट और इंदौर हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना और तत्कालीन भाजपा सरकार के आदेश को भी पलटकर पोषण आहार की जिम्मेदारी पुन: एमपी एग्रो के माध्यम से दलालों को सौंपने का निर्णय लिया, जो कि निंदनीय है।”
भार्गव ने आरोप लगाया, “एमपी एग्रो के माध्यम से पोषण आहार माफिया अब लगातार अपना लूट का कारोबार चलाएंगे, जिससे माफियाओं को काली कमाई कम से कम दो हजार करोड़ (20 अरब) रुपये प्रति वर्ष होगी। कांग्रेस सरकार मासूम बच्चों का निवाला माफियाओं के सुपुर्द कर रही है, इससे बड़े पाप का दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता।”
भार्गव ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा, “ऐसा कोई विभाग नहीं बचा, जहां भ्रष्टाचार न हो। लेकिन कम से कम कुपोषित बच्चों को मिलने वाले पोषण आहार को सरकार बख्श दे। पोषण आहार को प्लांट माफियाओं को सौंपने के लिए विभाग की यह दलील कि वे प्लांटों को चला नही पाएंगे, यह ठेकेदारों और विभाग की मिली-जुली साजिश है।”
नेता प्रतिपक्ष ने आगामी रणनीति का ऐलान करते हुए कहा, “आगामी विधानसभा सत्र में इस विषय पर स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा कराई जाएगी। सरकार ने कैबिनेट में न्यायालय के विरुद्घ जो निर्णय लिया है, वह सीधे-सीधे अवमानना की परिधि में आता है। प्रदेश सरकार के विरुद्घ न्यायालय की अवमानना का भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया जाएगा।”