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    कांग्रेस घोषणापत्र

    मध्य प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस अपना 15 वर्षों का वनवास समाप्त कर शिवराज सिंह चौहान को उखाड़ फेंकने के लिए बेचैन है। चुनावपूर्व सर्वे में नजदीकी मुकाबले की बात कही जा रही है। इसका मतलब साफ़ है कि भाजपा के 15 साल के सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर कांग्रेस के प्रचंड बहुमत से प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे।

    मायावती की बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन का मौका गंवाना कांग्रेस के लिए अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा रहा। काफी कोशिशों के बाद भी पार्टी समाजवादी पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ भी समझौता करने में नाकाम रही।

    इसमें कोई शक नहीं बसपा के साथ गठबंधन कांग्रेस की सत्ता में वापसी की उम्मीदों को पुख्ता कर सकता था। लेकिन इस मोर्चे पर नाकाम होने के बाद पार्टी ने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेलना शुरू कर दिया। हमेशा से भाजपा और आरएसएस, कांग्रेस पर हिन्दू विरोधी पार्टी होने का इलज़ाम लगाती रही है और कांग्रेस खुद को देश की सेक्युलर पार्टी बताती रही है।

    मध्य प्रदेश चुनावों के लिए कांग्रेस के ‘वचनपत्र’ नाम से जारी घोषणापत्र से ये साफ़ जाहिर होता है कि गठबंधन के सारे मौकों को गँवा चुकी पार्टी ने अब सॉफ्ट हिंदुत्व का रास्ता अख्तियार किया है। जब से प्रदेश में चुनाव की सुगबुगाहट हुई है तभी से राहुल गाँधी की प्रदेश के मंदिरों में मत्था टेकते और जनेऊ पहने तस्वीरों ने मिडिया में एक अलग जगह बनाई।

    अब अपने ‘वचनपत्र’ के जरिये पार्टी में अपने तथाकथित सेक्युलर या हिन्दू विरोधी छवि को उतार फेकने की छटपटाहट साफ़ दिखाई देती है। कभी भाजपा के जिन मुद्दों की कांग्रेस आलोचना किया करती थी अब उन्ही मुद्दों को अपने वचनपत्र में जगह दे कर खुद के हिन्दू हितैषी होने का सबूत दे रही है।

    अपने वचनपत्र में कांग्रेस ने नौकरी से लेकर किसानो तक की बात की है लेकिन फिर अचानक से गाय, गोबर और राम ने वचनपत्र के सारे मुद्दों को हाईजैक कर लिया।

    गौशाला का निर्माण, ‘राम वन गमन पथ’, धार्मिक और आध्यात्मिक मंत्रालय की स्थापना और गौमूत्र तथा गोबर के उपलों का जिक्र ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनके जरिये कांग्रेस अक्सर भाजपा पर विकास के बदले धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाती रही है।

    2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद जिस तरह गाय बचाओ आंदोलन ने जोर पकड़ा और गाय को लेकर हिन्दू-मुस्लिम के बीच तल्खी बढ़ी उसको लेकर असहिष्णुता शब्द का ईजाद हुआ भारतीय राजनीति में। इसी असहिष्णुता शब्द को लेकर अवार्ड वापसी तक के आंदोलन चलाये गए। और अब कांग्रेस उसी गाय, गौशाला, गोबर को अपने घोषणापत्र में शामिल कर बहुसंख्यक मतदातों को लुभाना चाहती है।

    कभी कांग्रेस के नेताओं ने बयान दिया था कि ‘न राम थे न रामायण, राम बस एक काल्पनिक चरित्र हैं।’ और अब ‘राम वन गमन पथ’ के जरिये कांग्रेस अपने राम भक्त होने का भी सबूत दे रही है।

    इन सब का जिक्र कर के कांग्रेस ने एक बहुत बड़ा जुआ खेला है। अल्पसंख्यक वोटर मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कोर वोटबैंक रहे हैं। राम, गाय और गोबर का जिक्र कर कांग्रेस ने अपने कोर वोटबैंक को खुद से दूर करने का रिस्क भी लिया है।

    भाजपा के उग्र हिंदुत्व का मुकाबला अपने तथाकथित सेक्युलरिज्म के जरिये करने का दावा करने वाली कांग्रेस अब खुद भाजपा के पिच पर सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेल रही है और इन सब में उसने पीछे छोड़ दिया है विकास और 15 सालों के सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने का मौका।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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