अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने कहा कि “मध्य पूर्व में तत्काल चर्चा के दौरान वह ईरान (iran) के खिलाफ वैश्विक गठबंधन को बनाना चाहते हैं।” पोम्पिओ ने वांशिगटन से सऊदी अरब के लिए निकलते हुए यह बयान दिया था। माइक पोम्पिओ सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा करेंगे।
माइक पोम्पिओ की जेद्दाह और अबू धाबी की मुलाकात को काफी जल्दबाज़ी में तय की गयी थी और वह इसके साथ ही भारत की यात्रा करेंगे। जापान में जी-20 सम्मेलन में इसके बाद वह डोनाल्ड ट्रम्प को मिलेंगे और दक्षिण कोरिया की यात्रा करेंगे लेकिन उन्होंने अभी तक कोई ऐलान नहीं किया था।
पोम्पिओ ने कहा कि “हम उनके साथ बातचीत करेंगे कि हम कैसे रणनीतिक तरीके से जुड़े हुए हैं और कैसे वैश्विक गठबंधन का निर्माण कर सकते हैं, यह गठबंधन सिर्फ खाड़ी राज्यों का नहीं है बल्कि यह एशिया और यूरोप में भी होगा जो इस चुनौती को समझता है और हम विश्व के सबसे विशाल आतंक के प्रयोजकता के खिलाफ खड़े होने को तैयार है।”
पोम्पिओ के सख्त बोल के बावजूद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उप राष्ट्रपति माइक पेन्स ने कहा कि बिना पूर्व किसी शर्त के ईरान के साथ बातचीत के लिए अमेरिका तैयार है। ट्रम्प ने बीते वर्ष ईरान के साथ हुई वैश्विक संधि को तोड़ दिया था। ईरान पर नए तरीके के प्रतिबंधों से वांशिगटन दबाव बढ़ाना चाहता है और ईरानी नेतृत्व को बातचीत के लिए मज़बूर किया था।
पोम्पिओ ने कहा कि “वह अच्छे से जानते हैं कि कहां ढूढ़ना है।” हाल ही में ईरान की सेना ने अमेरिकी निगरानी ड्रोन पर हमला किया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने शुरुआत में कहा था कि ईरान ने बहुत बड़ी गलती की है और इस पर यकीन करना मुश्किल है कि गुरूवार को मार गिराए ड्रोन इरादे से नहीं किया गया था।
उन्होंने बाद मे कहा कि “यह ईरान के बेवकूफ का गैर इरादतन कार्य था और उन्होंने ईरान के खिलाफ प्रतिकारी सैन्य हमले को रोक दिया था। शनिवार को कहा कि ट्रम्प ने खुद को पलट लिया था और दावा किया कि ईरान जानबूझकर इसे अंजाम दे रहा है।”
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “वह ईरान के अमेरिकी मानवरहित ड्रोन को न मार गिराने के निर्णय की सराहना करते हैं। अगर तेहरान अपने परमाणु हथियारों को त्यागने के लिए रज़ामंद हो जाता है और वह देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को संवारने में मदद करेंगे।
ट्रम्प के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने रविवार इजराइल की यात्रा की थी। बोल्टन ने कहा कि ईरान को अमेरिका की सावधानी और अमेरिका के विवेक को उनकी कमजोरी नहीं समझनी चाहिए। डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर हवाई हमले को 10 मिनट पहले रोक दिया था।
बेंजामिन नेतन्याहू के साथ जॉन बोल्टन ने कहा कि “उन्हें मध्य पूर्व में शिकार का लाइसेंस किसी ने नहीं दिया है। जैसे की राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा शुक्रवार को सेना के पुनर्निर्माण, नए और जाने के लिए तैयार है।” रविवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि “आग की लपटों को फ़ैलाने वाले सैन्य मौजूदगी हस्तक्षेप करार दिया था।”
यमन में ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों ने सऊदी अरब के एयरपोर्ट पर हमला किया था और इसमें एक व्यक्ति की मौत हुई थी और सात लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे। माइक पोम्पिओ ने कहा कि “हम उन्हें जरुरत के संसाधन नहीं देने जा रहे हैं ताकि अमेरिका और अमेरिकी जनता समूचे विश्व में सुरक्षित रहे।”
ईरान के टेलीकॉम मंत्री ने सोमवार को कहा कि “ईरान के रॉकेट लॉच प्रणालियों पर अमेरिका का साइबर का हमला नाकाम रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस्लामिक रिपब्लिक द्वारा अमेरिकी ड्रोन पर हमले के बाद अमेरिका ने साइबर हमले की योजना बनायीं थी।”
ईरान के सूचना एवं संचार तकनीक मामले के मंत्री जावेद अज़ारी जहरूमि ने सोशल मीडिया पर कहा कि “वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन एक सफल हमले को अंजाम देने में नाकाम साबित हुए हैं।”
उन्होंने कहा कि “मीडिया ने पूछा कि अगर ईरान के खिलाफ साइबर हमले के दावे सही है। बीते वर्ष हमले 330 लाख साइबर हमलो को नाकाम किया था।”