अफगानिस्तान में मध्य प्रांत ग़ज़नी की एक मस्जिद में रात्री में हुए हमले की जिम्इमेदारी स्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने ली है। प्रांतीय सरकार के प्रवक्ता आरेफ नूरी ने कहा कि “मोहम्मदिया मस्जिद के अंदर कट्टर इस्लामिक आतंकवादियों ने बम लगाया था इसमें दो लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए है।”
इस्लामिक स्टेट अक्सर अफगानिस्तान के शिया अल्पसंख्यकों को निशाना बनाता रहा है। शिया मुस्लिमों को आइएस काफिर मानता है। आतंकवादी समूह ने कहा कि “इस विस्फोट में 40 लोग घायल हो गए है।” सरकारी अधिकारियों ने बताया कि विस्फोटक उपकरण शुक्रवार की प्रार्थना से पहले लगाये गए थे।
गजनी हाल ही में सरकारी बलों और तालिबान आतंकवादियों के बीच भारी संघर्ष का केंद्र रहा है। जबकि अफगानिस्तान के युद्ध ज्यादातर सुन्नी मुसलमानों के बीच लड़े गए हैं। हाल के वर्षों में शिया अल्पसंख्यकों को निशाना बनाये जाने की संख्या में खासा इजाफा हुआ है।
अफगान युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिकी अधिकारियों और तालिबान के बीच शांति के लिए बातचीत के बावजूद भी इस्लामिक स्टेट नागरिक इलाको पर हमलों की जिम्मेदारी लेता रहता है।
अफगानिस्तान में शिया समुदाय के आकार पर कोई विश्वसनीय जनगणना की जानकारी मौजूद नहीं है, लेकिन अनुमान है कि फारसी भाषी हजारा जातीय समूह के अधिकांश सदस्य और कुछ ताजिकों सहित लगभग 10-15 प्रतिशत हैं।
अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद ने सोमवार को तालिबान के साथ क़तर में सातवें चरण की वार्ता शुरू की थी। इस शान्ति वार्ता में तालिबान ने अफगानी सरजमीं से विदेशी सैनिको की वापसी की मांग की है और इसके बदले अमेरिका को गारंटी दी है कि अफगानी सरजमीं कही भी हमले के लिए आतंकवादियों का ठिकाना नहीं बनेगा।