मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है और इसी के साथ शुरू हो चुकी है भाजपा और कांग्रेस में इस चुनावी जंग को जीतने की कवायद।
भाजपा जहाँ इस बार फिर अपने सबसे विस्वश्नीय चेहरा और निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतर रही है, वहीं कांग्रेस ने अब तक किसी को अपने मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया है।
इस वक़्त मध्य प्रदेश में कांग्रेस के दो बड़े सर्वमान्य नेता है। एक वरिष्ठ नेता कमलनाथ और दुसरे युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया।
दोनों का एक अपना जनाधार है, इसके वावजूद कांग्रेस ने अब तक इन दोनों में से किसी को भी मुख्यमंत्री पद के लिए आगे नहीं किया है।
शायद कांग्रेस को डर है कि किसी एक को भी चुनाव का चेहरा घोषित करने से संगठन में फूट पड़ सकती है और कांग्रेस नहीं चाहती कि ऐसी किसी स्थिति का फायदा भाजपा को मिल जाए।
कांग्रेस ने भले ही दोनों में से किसी एक को भी चेहरा न बनाया हो लेकिन सोशल मिडिया पर अक्सर दोनों के समर्थक अपने अपने नेता के पक्ष में ‘भावी मुख्यमंत्री’ का कैम्पेन चला रहे हैं।
गौरतलब है कि इस वक़्त छिन्द्वारा से 9 बार के सांसद कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष है जबकि युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव प्रचार का प्रमुख बनाया गया है। माना जा रहा है कि दोनों पक्षों की आपसी गुटबाजी के कारण ही कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन नहीं हो पाया था।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी अक्सर पार्टी में युवा नेतृत्व की बात करते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया से उनकी करीबी भी है, लेकिन शायद उनमे वो अनुभव की कमी है जो 13 साल से मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठे शिवराज चौहान को हटाने के लिए चाहिए। कमलनाथ 9 बार से सांसद है और इस वक़्त कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं में से एक है।
वरिष्ठ होने के नाते उनके समर्थक उनको मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं लेकिन सार्वजनिक तौर पर दोनों में से किसी नेता से कभी मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई बयान नहीं दिया है।
दोनों नेताओं का कहना है कि अभी उनका पूरा ध्यान कांग्रेस के कैम्पेन और जीत पर है, मुख्यमत्री पद की बहस मीडिया की उपज है।