ऐसा इतिहास में पहली बार होगा जब क्लासिकल दौर के किसी अदाकारा का पुतला दिल्ली के मैडम तुसाद में लगाया गया हो। अभी हाल ही में इस म्यूजियम में मधुबाला के पुतले का उद्घाटन खुद उनकी बहन, मधु भूषण ने किया। मधुबाला का यह बेहतरीन पुतला उनकी 1960 में लगी फिल्म ‘मुग़ल-ये-आज़म’ में उनके किरदार ‘अनारकली’ से प्रभावित है।
इस अदाकारा के चाहने वाले भारत के अलावा विदेश के हर कोने में भी थे। सन 1952 में यह सुंदरी अमेरिका के एक प्रसिद्ध मैगज़ीन के कवर पर भी छाई थी।
मधुबाला की बहन मधुर, मधुबाला के पुतले को देख बोल पड़ी ‘यह पुतला नहीं है, बल्कि मेरी ‘आपा’ साक्षात रूप में खड़ी है। उनकी बहन को ऐसा आभास हुआ जैसे मधुबाला का पुतला अभी कुछ बोल पड़ेगा।
मधुबाला ने हिंदी सिनेमा में 1942 में अपने कदम रखे थे। इसके बाद, वो महल, अमर, चलती का नाम गाड़ी, मुग़ल-ये-आज़म, बरसात की रात जैसी फिल्मों के तहत हिंदी सिनेमा में मधुबाला ने खूब नाम और शौहरत कमाई।
मधुबाला का असल नाम बेबी मुमताज़ था। पर, उनकी पहली फिल्म का अभिनय, देवकी रानी को छू गया और उन्होंने इनका नाम ‘मधुबाला’ रख दिया। सन 1942 से 1969 में मधुबाला ने हिंदी सिनेमा को कही बेहतरीन फिल्में दी है। यह अदाकारा, आज भी कही न कही लोगों के दिलों पर राज़ करती है।