गुजरात विधानसभा चुनाव अब अपने उफान पर है। आज चुनावी प्रचार का आखरी दिन है और ऐसे में दोनों ही पार्टियां किसी प्रकार के मौके से नहीं चूकना चाहती है। दोनों तरफ से आरोपों और प्रत्यारोपो के तीर चल रहे है। चुनाव में ना सिर्फ गुजरात बल्कि पुरे देश से लोग और राजनेता अपनी अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे है।
मणिशंकर के बयान पर विवाद गरमा गया है। हालंकि राहुल के कहने पर उन्होंने यह कहते हुए माफ़ी मांग ली है कि उन्हें हिंदी भाषा की समझ कम है। शायद हो सकता है कि शब्दों के चयन में कोई गलती हो गयी है। मणिशंकर के बयान के पर कांग्रेस भले कुछ कहने से बच रही हो लेकिन लालू प्रसाद यादव इस मुद्दे पर मुँह खोलकर कह रहे है।
लालू ने मणिशंकर का बचाव करते हुए अभी अभी ट्वीट किया है कि “इस देश में राजनीतिक मर्यादा, भाषा और व्याकरण को सिर्फ़ और सिर्फ़ एक व्यक्ति ने तार-तार एवं तहस-नहस किया है” लालू का संकेत किस तरफ था यह बताने कि जरूरत नहीं है।
इस देश में राजनीतिक मर्यादा, भाषा और व्याकरण को सिर्फ़ और सिर्फ़ एक व्यक्ति ने तार-तार एवं तहस-नहस किया है।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) December 7, 2017
“इसी क्रम में लालू प्रसाद यादव ने मोदी से पूछा है कि गुजरात में कहा विकास हुआ है। उन्होंने अपने ही अंदाज में मोदी सरकार से सवाल किया है कि “कहाँ है विकासवा? कोई ढूँढ कर लाओ रे!”
कहाँ है विकासवा? कोई ढूँढ कर लाओ रे!
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) December 7, 2017
चुनाव प्रचार के आखरी दिन को लालू कोई मौका नहीं गवाना चाहते। उन्होंने बीजेपी को घेरते हुए एक और ट्वीट में कहा कि “बिहार चुनाव में ई लोग गाय और पाकिस्तान को खोज कर लाए थे और अब गुजरात में 800-900 साल पहले गढ़े मुर्दों को। मतलब हालात वही है और हाल भी वही होने वाला है”
बिहार चुनाव में ई लोग गाय और पाकिस्तान को खोज कर लाए थे और अब गुजरात में 800-900 साल पहले गढ़े मुर्दों को।मतलब हालात वही है और हाल भी वही होने वाला है।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) December 6, 2017
लालू ने ना सिर्फ बीजेपी पर ताबड़तोड़ हमले किये है बल्कि अपने एक पोस्ट में यह भी बताया है कि क्यों उन्होंने 1990 में लालकृष्ण आडवाणी कि रथ यात्रा को रोका था। एक निजी चैनल को दिए अपने एक इंटरव्यू में लालू ने बताया कि आडवाणी की रथ यात्रा को रोकना राष्ट्रहीत के लिए बहुत आवश्यक था। अगर उस समय में ऐसा नहीं करता तो देश में वो हो सकता था जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।
आज लालू ने एक तरफ मोदी के विकास पर सवाल उठाया है वहीं दूसरी तरफ राहुल गाँधी को विपक्षी दलों कि तरफ से 2019 के लोकसभा चुनाव का पीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया है। लालू ने यह चाल तब चली है जब बीजेपी समेत कांग्रेस के भी कई नेता राहुल के अध्य्क्ष पद पर सवाल उठा रहे है।