आठ माह पूर्व यहां 12 साल की एक बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या किए जाने के आरोपियों पर जल्द कार्रवाई किए जाने की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को यहां धरने पर बैठ गए और उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को ज्ञापन सौंपा।
दूसरी ओर कांग्रेस ने चौहान के धरने को राजनीतिक नौटंकी करार दिया है। राजधानी के मनुआभान टेकरी में आठ माह पूर्व 12 वर्षीय बालिका की दुष्कर्म के बाद पत्थरों से कुचलकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड के आरोपियों पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसी को लेकर सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री चौहान बालिका की मां के साथ मासूम को न्याय दिलाने के लिए रोशनपुरा क्षेत्र में धरने पर बैठे।
हैवानों की दरिंदगी का शिकार हुई बालिका की मां ने पुलिस पर गंभीरता से कार्रवाई न किए जाने का आरोप लगाया, और कहा कि उसकी बेटी के साथ दिन के उजाले में दुष्कर्म हुआ और उसकी हत्या कर दी गई। आरोपियों को आठ माह गुजर जाने के बाद भी सजा नहीं मिली है।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, “एक मां आठ माह से बेटी को न्याय दिलाने के लिए भटक रही है। सवाल उठता है कि आखिर कहां जाए यह मां, ऐसा क्रूर काम करने वाले नर पिशाच हैं। वारदात को हुए आठ माह हो चुके हैं, मगर अब तक डीएनए रिपोर्ट नहीं आई है। आखिर कब तक इस बहन को न्याय मिलेगा। हमें अब एक ही बात करनी है कि बेटी के दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया जाए।”
धरने के बाद चौहान ने बालिका के परिजनों और भाजपा नेताओं के साथ मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।
दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री चौहान के धरने पर बैठने को लेकर कांग्रेस ने तंज कसा है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा, “प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दुष्कर्म जैसे संवेदनशील विषय पर भी राजनीतिक नौटंकी कर रहे हैं। यदि शिवराज सिंह ऐसे मुद्दों पर तनिक भी संवेदनशील होते तो उनके मुख्यमंत्रित्व काल में 47,000 से अधिक महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं नहीं हुई होतीं, बच्चियों और महिलाओं के साथ घटित होने वाले अपराधों में, प्रदेश लगातार देश में नंबर वन न बना रहता।”
ओझा ने आगे कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि पिछले लगभग डेढ़ दशक के कार्यकाल में शिवराज सिंह ने बच्चियों और महिलाओं के साथ घटित हो रहे अपराधों के मामले में ऐसी तत्परता और संवेदनशीलता कभी नहीं दिखाई, जैसी अब दिखा रहे हैं। वरना प्रदेश में न तो इतनी बड़ी संख्या में महिला अपराध घटित हुए होते और न ही प्रदेश के माथे पर महिला अपराधों के मामले में नंबर वन बनने का कलंक लगता।”