हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंगलवार को एक बार फिर केंद्र सरकार से प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बात फिर से शुरू करने की अपील की है। एक सरकारी पैनल ने 22 जनवरी को किसान नेताओं के साथ बैठक की थी, लेकिन 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के हिंसक हो जाने के बाद केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच दीवार खड़ी हो गई है।
इस घटना के बाद प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच अब तक नए कृषि कानूनों को लेकर बात करने का कोई भी प्रस्ताव ना तो दिया गया है ना ही किसानों की तरफ से कोई पहल हुई है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कृषि कानूनों पर फिर से बात शुरू करने के लिए केंद्र सरकार को राजी करने की जिम्मेदारी हरियाणा की भाजपा-जेजेपी सरकार के कंधों पर है।
विधानसभा में विपक्ष के एक नेता ने कहा कि दिल्ली से लगती हरियाणा की सीमाएं केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का केंद्र रही हैं। राज्य की भाजपा-जेजेपी सरकार को केंद्र सरकार को समाधान ढूंढने के लिए राजी करना चाहिए। कांग्रेस नेता ने एक बयान में कहा की “प्रदर्शन अब हमारी जमीन पर हो रहा है इसलिए किसानों की मांगें सुनने और मानने के लिए केंद्र सरकार को राजी करना हरियाणा की भाजपा-जेजेपी सरकार की जिम्मेदारी थी”।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आगे कहा की “सरकार को राष्ट्रहित में किसानों की मांगों पर विचार करके सम्मानजनक समाधान ढूंढने का प्रयास करना चाहिए। दिल्ली की सीमाओं के पास किसान आंदोलन के छह महीने पूरे हो गये है। बड़ी संख्या में किसान अपने घर-परिवार छोड़कर सर्दी-गर्मी की परवाह न करते हुए सीमाओं पर बैठे हुए हैं। ऐसी स्थिति में मैं एक बार फिर सरकार से प्रदर्शनकारी किसानों से सकारात्मक मानसिकता के साथ बातचीत करने की अपील करता हूं”।
हुड्डा ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने गतिरोध दूर करने की कोशिश की है और उसने इस मुद्दे का सम्मानजनक हल ढूंढने के लिए सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है।