भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी अगस्त में दो दिवसीय यात्रा पर भूटान जायेंगे। यह यात्रा नई दिल्ली की हिमालय राष्ट्र के साथ जुड़े संबंधो की महत्वता को दर्शाता है और सरकार की पड़ोसी पहले नीति को दोहराता है।
जयशंकर की भूटान यात्रा
दोनों देश एक अलग और समय पर अजमाए हुए द्विपक्षीय संबंधों को साझा करते हैं और यह विश्वास, सद्भावना और आपसी समझ से मिलकर बनी है। बीते महीने विदेश मन्त्री एस जयशंकर ने भूटान की दो दिवसीय अधिकारिक यात्रा की थी और अपना पदभार सँभालने के बाद यह उनकी पहली विदेशी यात्रा थी।
यात्रा के दौरान जयशंकर ने भूटान के प्रधानमंत्री लोटाय त्शेरिंग से मुलाकात की थी और द्विपक्षीय सहयोग में वृद्धि के तरीको पर चर्चा की थी। गोखले 4 व 5 जुलाई को भूटान में थे। इस दौरान उन्होंने राजा जिग्मे खेसर और प्रधानमंत्री लोटे त्सरिंग से मुलाकात की। बाद में भूटान के विदेश मंत्री तंदी दोरजी ने गोखले के लिए आयोजित रात्रिभोज की मेजबानी की।
भूटान ही वह पहला देश था, जहां प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 लोकसभा में जीत दर्ज करने के बाद दौरा किया था। वहीं भूटान के प्रधानमंत्री त्सरिंग ने भी नवंबर-2018 में सरकार बनाने के बाद अपनी पहली यात्रा भारत में ही की थी। इसी के साथ उन्होंने मई में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी हिस्सा लिया था।
त्शेरिंग ने ट्वीट कर कहा कि “भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर को भूटान के प्रधानमंत्री डॉक्टर लोटय त्शेरिंग ने बुलावा भेजा था। ल्योनचेन ने स्वागत किया और विदेश मंत्री के पद पर आसीन होने के तुरंत बाद भूटान की यात्रा के लिए आभार व्यक्त किया था।”