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    नोटबंदी के दौरान भूटान-नेपाल

    भारत में हुई नोटबंदी का सीधा असर दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था के साथ ही दो पड़ोसी देशों भूटान और नेपाल की अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिला। भूटान की अर्थव्यवस्था कुछ इस तरह से गढ़ी हुई है कि इस देश का व्यापार संतुलन हमेशा घाटे में रहता है, इसलिए भूटान नियमित रूप से भारत से आयात करता रहता है।

    यहां तक कि भूटान के केंद्रीय बैंक ने घरेलू करेंसी को भारतीय रुपए के बराबर का दर्जा दे रखा है। ऐसे में लाजिमी है ​कि भूटान का अार्थिक विकास पूरी तरह से भारतीय रुपए पर ही निर्भर है। इस बात को आप कुछ इस तरह समझ सकते हैं कि भारतीय विदेश मंत्रालय अपने वार्षिक बजट का करीब पांच हजार करोड़ रुपए भूटान के लिए खर्च करता है।

    इसीलिए जैसे ही 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए के नोट बैन किए गए उसकी अगली सुबह 9 नवंबर को भूटान के फ्यून्तशोलिंग शहर के बैंकों के आगे भी लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली थी। आपको बतादे कि 9 नवंबर की सुबह भूटान की राजशाही इस आपात स्थिति से निपटने के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय के संपर्क में लगातार बनी रही। लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से इस विकट स्थिति से निपटने का कोई भी सुझाव नहीं दिया गया।

    यहां तक कि भूटान रॉयल केंद्रीय बैंक भी स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के संपर्क में बना रहा और पूछता रहा कि नोटबंदी की इस विकट परिस्थिति से कैसे निपटा जाए। यानि नोटबंदी के समय भूटान की जनता में भी अफरा तफरी का माहौल बना रहा। भारत के नजदीकी देशों में नेपाल भी एक ऐसा पड़ोसी देश है जहां भारतीय रूपया बतौर लीगल टेंडर काम करता है। नेपाल के किसी भी बैंक में भारतीय रूपए को आसानी से जमा कराया जा सकता है। आप को बतादें कि जितना गिरावट भारतीय रूपए में दर्ज की जाती है उतनी ही गिरावट नेपाल की करेंसी में देखने को मिलती है।

    करीब 5 मिलियन नेपाली नागरिक भारत में काम करते हैं जो अपनी कमाई को नेपाली बैंकों में जमा करते हैं। भारतीय सरकार नेपाल की अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर निवेश करती है। नेपाल के केंद्रीय बैंक में बड़ी मात्रा में भारतीय करेंसी मौजूद रहती है, लिहाजा नेपाली नागरिकों के साथ भारतीयों का कालाधन भी यहाँ मौजूद रहता है।

    नेपाल के बैंकों में मौजूद भारतीय करेंसी का सीधा फायदा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई उठाती है। आईएसआई नेपाल के रास्ते नकली करेंसी का इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए करती है। अभी तक आरबीआई और भारतीय वित्त मंत्रालय ने यह आंकड़ा जारी नहीं किया है कि नोटबंदी के बाद नेपाल से कितने रूपए की बरामदगी हुई। पर इतना तो तय है कि नेपाल और भूटान के साथ इन देशों में करोबार करने वाले भारतीय भी नोटबंदी की मार से अब तक उबर नहीं पाए हैं।