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    अफगानिस्तान राष्ट्रपति भारत

    हाल ही में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी ने भारत की प्रशंसा की है। अशरफ गनी ने अफगानिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में भारत के योगदान की सराहना की है। अशरफ ने कहा कि भारत, अफगानिस्तान का एक अच्छा साथी है।

    राष्ट्रपति अशरफ गनी ने जोर देते हुए कहा कि अफगान सरकार भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग को अधिक मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। खामा प्रेस के मुताबिक राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने हालिया विदेशी यात्राओं व वार्ता के संबंध में संसद के ऊपरी व निचले सदन को इस बारे में टिप्पणी की।

    गौरतलब है कि भारत लगातार अफगानिस्तान को आर्थिक व व्यापारिक सहायता देता आ रहा है। अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी और भूमिका के बारे में गलत धारणाओं को खारिज करते हुए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने किसी भी देश से कोई छिपा हुआ समझौता नहीं किया है।

    गनी ने स्पष्ट संकेत हुए कहा कि किसी विदेशी राज्य को अफगान की धरती का इस्तेमाल गलत तरीकों से करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    इसके अलावा राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि बीते कुछ सालों में काबुल व नई दिल्ली के बीच में मजबूत संबंध स्थापित हुए है। आगे कहा कि अफगान सरकार देश के विकास के लिए भारत द्वारा प्रदान किए गए आर्थिक अवसरों का उपयोग जारी रखेगी।

    अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती भूमिका

    गौरतलब है कि भारत पिछले कई सालों से अफगानिस्तान के विकास के लिए आर्थिक मदद दे रहा है। भारत की अफगान को मदद करने से पाकिस्तान काफी चिंतित हो रहा है। पाकिस्तान लंबे समय से अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती उपस्थिति का विरोध कर रहा है।

    पाक का मानना है कि भारत अफगान के जरिए पाक को घेरने की तैयारी कर रहा है। जबकि अफगान अधिकारियों ने पाकिस्तान के इस विरोध को कई बार खारिज किया है।

    अमेरिका ने अफगानिस्तान के पुनर्वास में नई दिल्ली की रचनात्मक भूमिका का भी समर्थन किया है। अमेरिका अफगानिस्तान में शांति बनाए रखने को लेकर भारत से सैन्य मदद की अपील भी कर चुका है।

    अफगानिस्तान में तालिबान शासन के अंत के बाद कई बार भारत की तरफ से अफगानिस्तान को मदद की जाती है। भारत-अफगानिस्तान मिलकर कई प्रोजेक्टों पर साथ काम कर रहे है।

    भारत व अफगानिस्तान के बीच में व्यापारिक संबंधों में बढ़ोतरी व मजबूती भी मिली है। अब तो चाबहार बंदरगाह भी भारत-अफगानिस्तान के व्यापार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

    पाकिस्तान की जगह भारत को तवज्जो दे रहा अफगान

    कुछ समय पहले ही भारत ने गेहूं का पहला शिपमेंट भी ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए अफगानिस्तान को भेजा था। ईरान के चाबहार बंदरगाह के होने से अफगानिस्तान अब पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर निर्भर नहीं रहेगा।

    गौरतलब है कि चाबहार बंदरगाह से पहले पाकिस्तान के कराची बंदरगाह के जरिए भारत से अफगानिस्तान में शिपमेंट भेजा जाता था।

    पहले अफगानिस्तान को पाकिस्तान के जरिए ही माल मंगवाना पड़ता था लेकिन अब अफगान को विकल्प मिल गया है। अब भारत से माल मंगवाने के लिए अफगान को पाकिस्तान पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।