भारत सीरिया के साथ मंत्री स्तर की वार्ता की योजना बना रहा है। पश्चिमी एशिया में व्यापक रणनीति का विस्तार मकसद है। एक वर्ष पूर्व जंग के कारण बैठक स्थगित कर दी गयी थी। नरेंद्र मोदी की सरकार सीरिया के पुनर्निर्माण प्रक्रिया में मदद के लिए न्यू लाइन ऑफ़ क्रेडिट का प्रस्ताव देने की योजना बना रहे हैं।”
इसके आलावा भारत आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में व्यापक आतंक रोधी साझेदारी और मज़बूत सूचना साझा करने के मैकेनिज्म पर निगाहें जमाये बैठा है। एक सूत्र के मुताबिक “असद सरकार के खिलाफ जंग में भारत सीरिया का समर्थन करता है और वह सीरिया के साथ आर्थिक और नम्र ताकत जुड़ाव को दोबारा शुरू करने के इच्छुक है।”
चार सौ सीरिया के छात्रों ने भारत की यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया है और यह पूरी तरह छात्रवृति पर आधारित है और सीरिया के कूटनीतिज्ञों के बैच को भारत ने ही प्रशिक्षित किया था। बीते माह विदेश मंत्रालय के सचिव टीएस त्रिमूर्ति ने डमस्कस की यात्रा की थी और समूचे सीरियन नेतृत्व से मुलाकात की थी।
भारत ने सीरिया की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का मज़बूत समर्थन किया है और सीरिया ने भी सभी वैश्विक मंचो पर कश्मीर मामले में भारत का समर्थन किया है, इसमें इस्लामिक सहयोग संगठन भी शामिल है। सीरिया के मुताबिक, भारत को सीमा पार हमले का अपने तरीके से जवाब देने का अधिकार है। अन्य सूत्र के मुताबिक, सीरिया की सरकार ने संकट के दौरान भारत की स्थिति का समर्थन किया था और वह संबंधों को मज़बूत करना चाहते है।”
साल 2018 में डमस्कस में आयोजित इंडस्ट्रियल फेयर में करीब 100 भारतीय कंपनियों ने शिरकत की थी। भारत की लाइन ऑफ़ क्रेडिट फैसिलिटी के तहत अपोलो इंटरनेशनल ने 2.5 करोड़ डॉलर की लागत से स्टील प्लांट का नवीनीकरण किया था, जबकि भेल सीरिया में एक प्रोजेक्ट स्थापित कर रहा है।
भारत ने सीरिया में संघर्ष से पूर्व के दिनों में तेल क्षेत्र में दो सार्थक निवेश किये थे। पहला, ओएनजीसी और आईपीआर इंटरनेशनल ने जनवरी 2004 में डेयर एज़ ज़ोर के करीब ब्लॉक 24 में तेल और प्राकृतिक गैस के अन्वेषण के समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
दूसरा, ओएनजीसी इंडिया और सीएनपीसी चीन ने संयुक्त रूप से सीरिया की पेट्रोलियम कंपनी अल फुरत में पेट्रो कनाडा के 37 फीसदी शेयर को निवेश किया था। ओएनजीसी विदेश की टीम ने प्रोजेक्ट की पंहुच को जांचने के लिए यात्रा की थी। भारत ने सीरिया में आईटी एक्सीलेंस और बायोटेक्नोलॉजी के केन्द्रो को भी स्थापित किया है।
इसके साथ ही भारत कुवैत और बहरीन के साथ भी संबंधों को मज़बूत करने पर विचार कर रहा है। भारत-अरब लीग विदेश मंत्रियों की मुलाकात की भी भारत इस वर्ष के शुरुआत में मेज़बानी करने जा रहा था लेकिन दोनों पक्षों की तरफ से अनुकूल तारीख न होने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।