श्रीलंका में विपक्षी दल के नेता महिंदा राजपक्षे ने शनिवार को कहा कि भारत और उनके देश के संबंधों मे साल 2014 के परिवर्तन आये हैं, जबसे सत्ता में नयी सरकार आयी है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल की भारत के साथ समझ बूझ काफी अच्छी है। उन्होंने कहा कि सरकार द्विपक्षीय रिश्तों में काफी बदलाव देखने को मिलता है। साल 2014 में द्विपक्षीय संबंधों में दूसरी घटना घटी थी।
उन्होंने कहा कि मेरी सरकार और भारत की तत्कालीन यूपीए सरकार के मध्य को कार्य सम्बन्ध थे वो एनडीए के साथ आगे नहीं बढ़ पाए। महिंदा राजपक्षे ने कहा कि साल 1980 और 2014 की नासमझी अपवाद थी और इसे आसानी से नज़रअंदाज़ किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पारम्परिक सरकार से सरकार के बीच समझौते अब दो देशों के भविष्य के संबंधों को एक आकार नहीं दे सकते हैं, क्योंकि दुनिया दिन-प्रतिदिन जटिल होती जा रही है। राजनेताओं को एक प्रतिष्ठित भूमिका निभाना जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी राजनेता या सामाजिक नेता का एक गलत शब्द दो देशों के मध्य संबंधों को खरं कर सकता है, जिसका स्वाद हम पूर्व में चख चुके हैं।
राजपक्षे ने कहा कि “सदन में विपक्षी गठबंधन, जिसका नेतृत्व मैं कर रहा हूँ, उसकी भारत की मौजूदा पार्टी के साथ काफी अच्छी समझ है। भारत के नेता कहते हैं कि श्रीलंका को सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सरजमीं का इस्तेमाल कोई तीसरी पार्टी नहीं करेगी जिससे भारत के लिए खतरा पैदा हो। ऐसा ही भारत को भी सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि “दोनों देशों ने हमेशा गुट निरपेक्षता का आदर और समर्थन किया है, संप्रभुता का सिद्धांत, अनाक्रमक, गैर दखलंदाज़ी, संयुक्त हित और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को माना है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने विवादित तरीके से पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद सौंप दिया था। इससे देश में 50 दिनों तक संवैधानिक संकट बरकरार रहा था। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद राष्ट्रपति ने रानिल विकसमसिंघे को दोबारा प्रधानमंत्री की कॉमन सौंपी थी।