संयुक्त राष्ट्र, 8 मई (आईएएनएस)| भारत ने पैदा होने वाले खतरों के हालात के अनुरूप तत्परता दिखाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा है कि शांति बहाली का अभियान अज्ञात वास्तविकताओं और आकांक्षों के विवादों में फंस कर रह गया है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को बताया, “आज शांति बहाली अभियान अस्पष्ट रूप से परिभाषित ‘विवाद’ बनकर रह गया है। यह ऐसे दौर में है, जहां एक तरफ नाजुक हालात में शांति कायम करने की कोशिश की जा रही है और दूसरी ओर जहां शांति कायम करने की कोशिश की जा रही है वहां कोई शांति कायम करने वाला नहीं है।”
उन्होंने कहा, “इन परिस्थितियों में सुरक्षा के बदले माहौल में महज पारंपरिक तरीकों से प्रतिक्रियाएं नहीं दी जा सकती हैं। उन्हें उभरती वास्तविकताओं को पूरा करने के लिए क्षमताओं को अनुकूल बनाने के लिए उत्सुकता की जरूरत है। ”
उन्होंने परिषद में शांति बहाली अभियान के लिए प्रशिक्षण पर एक बहस के दौरान कहा कि अभियान के तहत पहले से ही तैनात क्षेत्र अस्पताल, इंजीनियरिंग और सिंग्नल कंपनियों जैसी इकाइयां अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए कोर ग्रुप को प्रशिक्षण प्रदान कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि भारत अपने शांति अभियानों के अनुभवों को दूसरों के साथ साझा करता है, ताकि उनकी क्षमताओं का निर्माण हो। इसकी एक मिसाल लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूएनआईएफआईएल) में कजाकिस्तान के साथ सह-नियोजन की पहल है।
भारत ने हाल ही में 18 अफ्रीकी देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना पर क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास का आयोजन किया।
अकबरुद्दीन ने कहा कि कठिन परिस्थितियों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण की जरूरत है।
चर्चा के दौरान शांति सैनिकों की सुरक्षा पर जोर दिया गया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि इमप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईडी) और अन्य चीजों से बढ़ते खतरों के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र उन देशों के साथ काम कर रहा है, जो अपने जवानों का प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए सेना व पुलिस मुहैया करवाते हैं।