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भारत वियतनाम सम्बन्ध

भारत और वियतनाम के बीच हमेशा से ही करीबी और सौहार्दपूर्ण रिश्ते रहे हैंI इन रिश्तों का आधार दोनों के संस्थापक नेता, भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और वियतनाम के राष्ट्रपति हो ची मिन्ह ने रखा थाI

वियतनाम के मौजूदा राष्ट्रपति त्रान दई क्वांग 2 मार्च को भारत पहुँच रहे हैं और दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझोतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद हैI

इस लेख के जरिये हम भारत और वियतनाम के सम्बन्धों के बारे में संक्षेप में चर्चा करेंगे। इसमें मुख्य रूप से इतिहास, बढ़ते आर्थिक सम्बन्ध और एशियाई प्रायद्वीप में दोनों देशों की भूमिका के बारे में चर्चा करेंगे।

इतिहास:

नेहरु और हो ची मिनभारत सन 1947 में आजाद हुआ था। वियतनाम भी उसी समय 1945 में आजाद हुआ था। उसी समय से दोनों देश एक-दुसरे के करीबी रहे हैं।

दोनों देशों के रिश्तों की जड़ें दोनों देशों के विदेशी शासन से आज़ादी के आम संघर्ष से जुड़ी हुई हैंI फ्रांस के शासन से आज़ादी के बाद प्रधानमंत्री नेहरू पहले नेताओं में से एक थे जिन्होंने वियतनाम का 1954 में दौरा कियाI हो ची मिन्ह ने फ़रवरी 1958 में भारत का दौरा कियाI

भारत ने वियतनाम के एकीकरण का समर्थन किया और वियतनाम युद्ध के दौरान उत्तर वियतनाम को अपना समर्थन भी जतायाI

बढ़ते आर्थिक संबंध:

भारत और वियतनाम के बीच अधिकारिक कूटनैतिक संबंध सन् 1972 में कायम हुए और तब से लेकर आज तक मित्रतापूर्ण रिश्ते बने हुए हैंI ये रिश्ते चीन से वियतनाम के लंबे चले सीमा युद्ध और भारत-चीन विवाद की वजह से और मज़बूत होते गयेI

भारत ने 1975 में वियतनाम को ‘सबसे सहाययुक्त राष्ट्र'(मोस्ट फेवर्ड नेशन) का दर्जा दियाI इसके साथ ही दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापर समझौते पर 1978 में हस्ताक्षर किये और 8 मार्च  1997 को द्विपक्षीय निवेश संवर्धन और संरक्षण समझौते (बीआईपीपीए) पर हस्ताक्षर हुए।

आर्थिक उदारीकरण के बाद से ही आपस में द्विपक्षीय व्यापर तेज़ी से बढ़ा। भारत वियतनाम का 13वां सबसे निर्यातक बन गयाI निर्यात 1985-1986 में 11.5 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2003 में 395.68 मिलियन डॉलर हो गयाI

वियतनाम का भी भारत को किया गया निर्यात 180 मिलियन डॉलर तक पहुँच गयाI इसमें खेती से जुड़े सामान, कपड़े, हस्तशिल्प एवं इलेक्ट्रॉनिक सामान मुख्य रूप से शामिल थेI

द्विपक्षीय व्यापर के 2008 तक 2 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान जताया गया जोकि लक्ष्य से 2 वर्ष पहले ही पा लिया गयाI 2010 में आसियान-भारत नि:शुल्क व्यापार समझौता हुआ जिसके बाद व्यापर 3.917 बिलियन को डॉलर छू गयाI

2015 में व्यापर 7 बिलियन डॉलर रहा और इसे वर्ष 2020 तक 20 बिलियन डॉलर पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया हैI

रक्षा साझेदारी और चीन

जनवरी 2000 में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फेर्नान्देस ने वियतनाम को सबसे भरोसेमंद मित्र राष्ट्र से संबोधित किया और नए सिरे से राजनैतिक संबंध कायम करने का प्रस्ताव रखाI

वियतनाम भारत रक्षाइसके बाद से ही सामरिक भागीदारी के तहत दोनों देशों ने व्यापक सहयोग से परमाणु उर्जा के विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकी गुटों के खिलाफ लड़ाई एवं नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने जैसे कई कदम साथ उठाये हैंI

वियतनाम ने भारतीय नौसेना का अपने क्षेत्र में स्वागत किया और साथ ही भारत के उस बयान का भी स्वागत किया जिसमे कहा गया कि दक्षिण-चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद का शांति के साथ हल होना चाहिए. हालांकि चीन ने इस बयान पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया जताईI

भारत वियतनाम को 100 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन भी मुहैया करा रहा है जिसके तहत वियतनाम भारत से रक्षा उत्पादों की खरीद कर सकता हैI

सितंबर 2016 की वियतनाम यात्रा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 500 मिलियन डॉलर की नयी क्रेडिट लाइन की घोषणा कीI भारत वियतनाम को चार बड़े गश्ती पोत बेच रहा है और उच्च तकनीक की ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल प्रणाली को भी बेचने पर बात चल रही हैI

इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (इसरो) भी दक्षिण वियतनाम में ‘सॅटॅलाइट ट्रैकिंग एंड इमेजिंग सेंटर’ का निर्माण कार रहा है जिससे की चीन की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सकेI

इन सब चाल से चीन ज़ाहिर तौर पर चिंतित है और समय-समय पर इसका विरोध जताता रहता है और कार्यों पर रोक की कोशिश करता हैI इनमें कुछ मामलों में भारत-चीन के तट रक्षक दल और नौसेनाएं आमने-सामने तक आ चुकी हैंI

चीन ने भारत के ओएनजीसी विदेश लिमिटेड पर भी आपत्ति जताई है जोकि विएतनामी तट पर तेल खोजी अभियान कर रहा हैI इस इलाके को चीन अपने क्षेत्र में होने का दावा कर रहा हैI

वियतनाम के राष्ट्रपति का महत्वपूर्ण दौरा

वियतनाम के राष्ट्रपति की तीन दिवसीय यात्रा शुक्रवार से शुरू हो रही है और यह ऐसे समय हो रही है जब भारत चीन को तिरछी नज़रों से देख रहा है और चीन लगातार पड़ोसी देशों में अंदर तक अपनी पहुँच बनाने में लगा हुआ हैI

नेपाल, श्रीलंका और मालदीव जैसे देश चीन के वन बेल्ट इनिशिएटिव के साथ जुड़ चुके हैं और चीन दक्षिण-चीन सागर के पूरे क्षेत्र पर अपना हक़ जताता रहा हैI राष्ट्रपति क्वांग भारत के नातेओं के साथ इस पूरे मसले पर चर्चा करेंगे जो वियतनाम के राजदूत के मुताबिक अब “जटिल समस्या” बन चुकी हैI

इसके अलावा महत्वपूर्ण असैनिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किये जाएँगेI साथ ही दोनों देशों की साझेदारी में आर्थिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक तत्वों को और बढ़ावा दिया जायेगाI

65 व्यवसायी और 34 वियतनामी कंपनियों का प्रतिनिधिमंडल भी भारत आ रहा है जिससे वियतनाम में कोल टर्मिनल और बंदरगाह निर्माण से जुड़े समझौतों पर सहमती की उम्मीद की जा रही हैI

मज़बूत होती रक्षा साझेदारी के बीच ही पिछले महीने ही दोनों देशों की नौसेना ने युद्धाभ्यास किया हैI दौरे में प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा घोषित 500 मिलियन डॉलर की रक्षा संबंधी क्रेडिट लाइन को कार्यान्वित करने के ऊपर भी चर्चा की जाएगीI

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