केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने हाल ही में प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया द्वारा लिए गए साक्षात्कार में कहा कि भारत अगले दो वर्षों में 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त करने का लक्ष्य रखेगा।
औद्योगिक क्लस्टर का निर्माण जारी :
साक्षातकार में बातचीत के दौरान सुरेश प्रभु ने कहा की हमारे देश में कई जगहों पर विभिन्न देश जैसे जापान, दक्षिण कोरिया, चीन एवं रूस आदि के लिए औद्योगिक क्लस्टर्स बनाए जा रहे हैं। ऐसा करके विभिन्न देशों को हमारे देशों में उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी बताया की उनके मंत्रालय ने उन क्षेत्रों और देशों की भी पहचान की है, जो भारत में निवेश की बड़ी संभावना रखते हैं एवं उन्हीं पर केन्द्रित होकर वे काम कर रहे हैं।
सुरेश प्रभु का पूरा बयान :
साक्षात्कार में सुरेश प्रभु ने कहा “मैंने देश को एक लक्षय दिया है। यह लक्षय है की विभिन्न क्षेत्रों में अगले साल भारत में कुल 100 अरब डॉलर विदेशी निवेश आना चाहिए। हमें पता है की यह एक साल होगा। अतः इस लक्ष्य को जल्द पूरा करने के लिए हमने ऐसे क्षेत्र एवं देशों की पहचान की है जोकि भविष्य में हमारे देश में बड़ा निवेश करने की संभावना रखते हैं। ”
उन्होंने यह भी कहा “जापान, दक्षिण कोरिया, रूस एवं चीन देशों के निवेश एवं कामकाज करने के लिए हम भारत में विभिन्न क्लस्टर्स बनवा रहे हैं जहां ये संभव होगा।”
भारत में निवेश के लिए हुए कई देश राज़ी :
केंद्रीय मंत्री ने खबर दी की चीन निवेश के लिए एवं अपने औद्योगिक संयंत्र शुरू करने के लिए तैयार है। हमने चीन के अधिकारियों से उन सभी उद्योगों की लिस्ट मांगी है जो भारत में अपने उद्योग को शुरू करना चाहते हैं।
इसी तरह भारत यूरोप एवं अमरीका की उन कंपनियों को स्वीकार करने में खुश होगा जो दुसरे देशों से बाहर निकलकर अपना उद्योग यहाँ स्थापित करना चाहते हैं।
FDI के आंकडें :
भारत में पुनः निवेशित आय को मिलाकर कुल विदेशी निवेश 2016-17 में 60.22 अरब डॉलर से बढ़कर 2017-18 में 61.96 अरब डॉलर हो गया था। इस साल अकेले अप्रैल से मई की तिमाही में ही देश में कुल 16 अरब डॉलर का निवेश हुआ था।
प्रभु नहीं हैं भारत के निर्यात के प्रदर्शन से खुश :
प्रभु ने कहा कि पिछले 14 महीनों में भारत ने निर्यात के मोर्चे पर ‘काफी अच्छा’ प्रदर्शन किया है, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कुछ समय पहले एक साक्षात्कार में कहा कि मैं निर्यात प्रदर्शन से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हूं। मैं चाहता हूं कि देश की आर्थिक वृद्धि की चाल निर्यात से तय हो। ऐसा करना बहुत चुनौतीपुर्ण है, क्योंकि सभी देश अपने स्तर पर कुछ सीमाएं निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं। साल 2011-12 में देश का निर्यात करीब 300 अरब डॉलर था। 2017-18 के दौरान यह करीब 10 फीसदी बढ़कर 303 अरब डॉलर हो गया।