आर्मी प्रमुख बिपिन रावत ने 23 सितम्बर को भारत सरकार के पाकिस्तान के साथ वार्ता रद्द करने के निर्णय का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि वार्ता और आतंकवाद साथ- सथ नहीं हो सकते।
भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र कि बैठक के इतर न्यूयोर्क में होने वाली भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके समकक्षी शाह मेहमूद कि बैठक को रद्द कर दिया था।
नई दिल्ली ने इसकी वजह तीन पुलिसकर्मियों की हत्या और कश्मीर व इस्लामाबाद से कश्मीरी अलगाववादी बुरहान वानी के स्टाम्प को जारी करना बताया।
आर्मी प्रमुख ने कहा की घाटी में अशांति फ़ैलाने वाले आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठाना जरुरी है। उन्होंने कहा की भारत सरकार की नीति स्पष्ट है।
पाकिस्तान वार्ता की पहल कर यह दिखाने की कोशिश करके यह सोचता है कि नई दिल्ली मान लेगी कि इस्लामाबाद अब आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे रहा है। लेकिन भारत को आतंकी गतिविधियों के जारी रहना और सीमा पार से आतंकियों का भारत आना दिख रहा है।
इस वातावरण में बातचीत कि प्रक्रिया को आगे बढ़ाना सरकार का फैसला होगा। उन्होंने भारत के वार्ता को रद्द करने के फैसले का समर्थन किया।
20 सितम्बर को पाकिस्तान के बॉर्डर से सीमा सुरक्षा बल पर हमले किये गए। जिसमे एक जवान शहीद हो गया। हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात जवान को सीमा पार से फेटल स्नाइपर शॉट से मारा गया है।
जनरल रावत ने कहा कि नवंबर में जम्मू- कश्मीर में होने वाले पंचायत चुनावों में अन्य सुरक्षा संस्थाओं कि मदद से पूर्ण सुरक्षा मुहैया करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि जनता के हाथ में सत्ता सौंपने के लिए इन चुनावों का होना जरुरी है।
जनरल रावत ने कहा कि चुनाव स्थानों पर उनका कार्य जनता को आश्वासन दिलाना है ताकि जनता बिना किसी भय और परेशानियों के घरों से बाहर आकर वोट दे सके।