भारतीय पुलिस ने गुरूवार को रोहिंग्या शरणार्थी के पांच सदस्यों के परिवार बस से सीमा पार छोड़ा है, वह म्यांमार जाने के लिए तैयार है। बीते चार माह में यह दूसरा रोहिंग्या शरणार्थियों का समूह है जो म्यांमार को सौंपा जा रहा है। भारत में सत्ताधारी सरकार रोहिंग्या मुस्लिमों को अवैध घुसपैठिये और सुरक्षा के लिए खतरा मानती है।
म्यांमार को रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने का आदेश
सरकार ने आदेश दिया है कि देश के छोटे इलाकों और स्लम में रहने वाले रोहिंग्या समुदाय के लोगों की पहचान कर उन्हें वापस उनके देश भेजा जाए। रोहिंग्या परिवार में पति, पत्नी और तीन बच्चे हैं और गुरूवार को उन्हें वापस म्यांमार को सौंप दिया जायेगा। इस परिवार को साल 2014 में अवैध तरीके से सीमा पार करते हुए असम में गिरफ्तार किया था और जेल की सज़ा हुई थी।
असम पुलिस की एडिशनल डायरेक्टर जनरल भास्कर ज्योति महानता ने कहा कि पांच लोग सीमा से सटे राज्य मणिपुर में हैं और उन्हें म्यांमार के अधिकारियों को अधिकारिक तरीके से सौंप दिया जायेगा। असम की जेल में म्यांमार के 20 अन्य नागरिक कैद हैं और सभी को अवैध प्रवेश करने के दौरान गिरफ्तार किया गया था।
हालांकि यह अस्पष्ट है कि वह सभी रोहिंग्या शरणार्थी है या नहीं। म्यांमार एक बौद्ध बहुल राष्ट्र है, जहां अल्पसंख्यकों का शोषण कर उन्हें भगा दिया गया था।
भारत में अवैध घुसपैठ
भास्कर ज्योति महानता ने बताया कि रोहिंग्या शरणार्थियों के यात्रा अनुमति मिलने के बाद उन्हें म्यांमार वापस भेज दिया जायेगा। इनमे से अधिकतर भारत में आजीविका की तलाश में आये थे। इससे पूर्व भारत ने सात रोहिंग्या शरणार्थियों के एक समूह को अक्टूबर में म्यांमार को सौंपा था।
प्रत्यर्पण का भय कई रोहिंग्या शरणार्थियों के जहन में बैठ गया था, कि उनकी जिंदगी की परवाह किये बिन उन्हें म्यांमार के अधिकारियों को सौंप दिया जायेगा।
सरकार की जानकारी के मुताबिक भारत में 40 हज़ार रोहिंग्या शरणार्थी विभिन्न शिविरों में रह रहे हैं। इनमे से कई भारत की राजधानी दिल्ली में भी शिविरों में हैं। म्यांमार में सेना की हिंसा और उत्पीड़न के बाद रोहिंग्या शरणार्थियों ने दूसरे देशों में पनाह ली थी, म्यांमार रोहिंग्या मुस्लिमों को नागरिकता देने से इनकार करता है।