रूस के राष्ट्रपति व्लामादिर पुतिन भारत-रूस शिखर सम्मलेन के लिए नई दिल्ली के दौरे पर हैं। अमेरिकी प्रतिबन्ध और विरोध के बावजूद भारत ने रूस के साथ एस-400 रक्षा प्रणाली पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह सौदा 39 हज़ार करोड़ रूपए का है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस से हथियार की सौदेबाज़ी करने पर पाबंदी लगा रखा थी।
19 वें शिखर सम्मलेन के बाद साझे बयान में दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों ने कहा कि इस सौदे के निर्णय का दोनों देश तहे दिल से स्वागत करते हैं।
अमेरिका ने इस वर्ष के शुरुआत में रूस पर हथियार कि सौदेबाज़ी करने पर प्रतिबन्ध लगाया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ़ तौर पर धमकी दी थी कि अगर कोई देश रूस के साथ सौदा करता है तो वो अमेरिका के प्रतिबंधों का उल्लंघन करेगा और उस राष्ट्र पर भी प्रतिबन्ध लगाए जायेंगे। इसी कारण हाल ही में अमेरिका ने चीन की सेना पर रूस से हथियार उपकरण खरीदने के कारण पाबंधी लगाई थी।
शुक्रवार को रूस और भारत के मध्य हथियार समझौते पर दस्तखत होने के बाद अमेरिकी दूतावास ने बयान दिया कि यह प्रतिबन्ध रूस के नापाक इरादों को खत्म करने के लिए है न कि उसके सहयोगी देशो कि सैन्य क्षमता को हानि पहुंचाने के लिए है।
अमेरिका दूतावास का बयान भारत को प्रतिबंधों के भय से मुक्त करता है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि रूस के रिश्तों को वह प्राथमिकता देंगे। दुनिया के इस बदलते दौर में हमारी मित्रता और प्रगाढ़ हुई है। इस सौदे के बाद भारत रूस का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बन जायेगा।
रूस ने भारत के लिए 2013-17 तक 62 फीसदी हथियारों कि आपूर्ति की है। एस-400 मिसाइल प्रणाली 2019 तक आयत होना शुरू हो जाएगी।
भारत और रूस के मध्य सैन्य तकनीक सहयोग में द्विपक्षीय समझौते को मज़बूत करने के लिए आगामी बैठक दिसंबर में होगी। एस- 400 के साथ दोनों राष्ट्रों ने आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का अगला मिशन भारतीय एस्ट्रोनॉट को गगनयान पर अंतरिक्ष पर भेजना है।