रूस ने भारत के साथ 950 मिलियन डॉलर के दो युद्धपोतों के सौदे पर हस्ताक्षर किये हैं। भारत की नौसेना की ताकत में इजाफा करने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के साथ इन युद्धपोतों का भी निर्माण किया जायेगा। भारत साथ ही रूस को दो अन्य युद्धपोतों के निर्माण के कॉन्ट्रैक्ट पर बाद में हस्ताक्षर करेगा।
सूत्रों के मुताबिक इस माह के शुरुआत में हुए भारत रूस वार्षिक सम्मलेन के कुछ समय पूर्व इस अटके प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गयी थी। भुगतान की चर्चा के बाद इस डील पर पिछले सप्ताह हस्ताक्षर किये गए थे। अमेरिका ने रूस से हथियारों का सौदा करने करने पर प्रतिबन्ध लगा रखे है ऐसे में भारत रूपए या रूबेल मुद्रा में इस प्रोजेक्ट की कीमत अदा करेगा।
रूस से ख़रीदे गए दो जहाजों को की डिलिवरी को भारत में साल 2022 तक कर दिया जायेगा। इन जहाजों का डिजाईन के साथ यूक्रेन का गैस टरबाइन भी इसमें लगाया गया है। इन दो युद्धपोतों के निर्माण के बाद गैस टरबाइन फिट कर दिया जायेगा। इसका निर्माण समाप्त होने के बाद इन युद्धपोतो को भारत को सौंप दिया जायेगा।
यूक्रेन और रूस के मध्य संबंधों में तल्खी के कारण भारत ने सीधा यूक्रेन को गैस टरबाइन का आर्डर दिया है। इससे पूर्व दो जहाजों के निर्माण में निजी क्षेत्र की किसी कंपनी को भागीदार बनाने पर विचार हो रहा था लेकीन सरकार ने राज्य के अधीन गोवा शिपयार्ड को इस प्रोजेक्ट के लिए नामित किया था।
हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई कि मंत्रालय इस निर्णय पर अटल रहता है या प्रतिद्वंदी प्रक्रिया के माध्यम से इस परियोजना का स्थानीय भागीदार नामित करता है। गोवा शिपयार्ड इस वक्त आर्थिक तनाव से गुजर रही है और किसी नए प्रोजेक्ट पर काम करने की हालात में नहीं है।