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    नरेंद्र मोदी

    प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत और रूस को न्यूनतम कीमत पर रक्षा उपकरणों के उत्पादन का फायदा उठाना चाहिए और यह जॉइंट वेंचर फ्रेमवर्क के अधीन होना चाहिए। मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा कि “आज तकनीक को ट्रान्सफर किया जा रहा है और भारत में सैन्य उपकरणों के उत्पादन की कीमत बेहद कम है और इससे हम दुनिया के तीसरे राष्ट्र को बेहद कम कीमत पर हथियार मुहैया करने में सक्षम होंगे। भारत और रूस को इस अवसर का भरपूर फायदा उठाना चाहिए।”

    प्रधानमन्त्री ने कहा कि “भारत और रूस की साझादारी तकनीकी और सैन्य सहयोग के काफी ज्यादा है। गगनयान प्रोजेक्ट के लिए भारतीय अन्तरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण मोस्को दे रहा है। सूचना प्रोद्योगिकी भारत में विकसित हो रही है और अन्तिक्ष में हम सफलता हासिल करेंगे।”

    उन्होंने कहा कि “अभी हम गगनयान प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं और रूस हमरे अन्तरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने में हमारी मदद कर रहा है। यह सहयोग सिर्फ सैन्य और तकनीक या इससे सम्बंधित क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। यह इस ढाँचे से काफी दूर जायेगा।”

    मोदी ने उम्मीद व्यक्त की है कि रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ पूर्वी आर्थिक मंच की बैठक से इतर मुलाकात में हम दोनों देशो के बीच द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा देंगे। भारत और रूस रक्षा, व्यापार, उद्योगिक सहयोग, उर्जा और कनेक्टिविटी गलियारे में कई समझौते पर दस्तखत कर सकते हैं।

    मोदी-पुतिन की मुलाकात इस साल उनकी तीसरी होगी इससे पहले वे बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन और ओसाका में जी -20 बैठक में मिल चुके हैं। मोदी के लिए राष्ट्रपति पुतिन 20 वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के 20 वें संस्करण के दौरान एक विशेष रात्रिभोज का आयोजन करेंगे।

    भारत को व्लादिवोस्तोक में मोदी-पुतिन वार्ता के दौरान सरकार से सरकार के बीच समझौते में पारंपरिक पनडुब्बियों की पेशकश की उम्मीदें हैं।

     

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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