केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया कि रूस ने दिल्ली-मुंबई उद्योगिक गलियारे और स्मार्ट शहरों में निवेश करने के लिए रुझान दिखाया है। उन्होंने कहा कि 23 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय उत्तरी दक्षिणी गलियारे की त्रिस्तरीय बैठक आयोजित होगी। इस बैठक के दौरान मार्ग के संचालन में उत्पन्न हो रही दिक्कतों का समाधान करेंगे।
आईएनएसटीसी की पहल भारत, रूस और ईरान ने ट्रांसपोर्ट सहयोग के लिए की थी। साथ ही मध्य एशियाई देशों को जोड़ने के लिए भी थी। यह मार्ग भारत के हिन्द महासागर से ईरान के पर्शियन गल्फ से रूस और उत्तरी यूरोप को जोड़ेगा।
इस गलियारे की क्षमता प्रति वर्ष 20 से 30 मिलियन टन उत्पादों की है और यह समय और लागत का 30 से 40 फीसदी तक कम करेगा। इन मुद्दों पर सुरेश प्रभु और रुसी व्यापार प्रतिनिधियों के एक समूह ने रविवार को चर्चा की थी।
मंत्रालय ने कहा कि डीएमआईसी, स्मार्ट शहर, रेलवे, सार्वजानिक यातायात, स्वच्छता और कम कीमत वाले निर्मित मकान में रूस की निवेश करने की योजना है। रूस ने 2000-17 के अंतराल में भारत में 1.2 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।
रुसी निवेश की महत्वपूर्ण विभाग तेल, गैस, रक्षा उपकरण, पॉवर और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है। रक्षा उपकरणों के लिए रूस भारत का प्राथमिक स्त्रोत है। रक्षा विभाग में रूस के निवेश से दोनों राष्ट्रों के लिए अवसर बढ़ जायेंगे।
सुरेश प्रभु ने कहा कि रुसी कंपनी रक्षा उत्पादन के लिए एक उद्योगिक पार्क में निवेश करने पर विचार कर रही है। इसमें हेलिकॉप्टर, परमाणु रिएक्टर और सोलर पैनल के उपकरणों का निर्माण होगा।