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    प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्‍मेलन को संबोधित किया

    प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने लघु टीबी निवारक उपचार (टीपीटी), टीबी-मुक्त पंचायत की आधिकारिक अखिल भारतीय शुरुआत, टीबी के लिए परिवार पर केन्‍द्रित देखभाल मॉडल और भारत की वार्षिक टीबी रिपोर्ट 2023 जारी करने सहित विभिन्न पहलों की भी शुरुआत की। 

    प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन वाराणसी में हो रहा है और कहा कि वह इस शहर से संसद सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा, “कोई भी बाधा हो, काशी ने हमेशा साबित किया है कि ‘सबका प्रयास’ से नए रास्ते बनते हैं।” उन्होंने विश्वास व्‍यक्‍त किया कि काशी टीबी जैसी बीमारी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक संकल्पों की दिशा में नई ऊर्जा का संचार करेगी।

    उन्होंने कहा कि जी-20 अध्यक्ष के रूप में भारत ने ऐसी ही मान्यताओं के आधार पर ‘एक परिवार, एक विश्व, एक भविष्य’  विषय को चुना। प्रधानमंत्री ने कहा, “जी-20 की विषय वस्‍तु पूरी दुनिया के साझा भविष्य का संकल्प है”। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ की कल्‍पना को आगे बढ़ा रहा है और जोर देकर कहा कि यह वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्‍मेलन के साथ वैश्विक भलाई के संकल्पों को साकार कर रहा है।

    प्रधानमंत्री ने कहा, “नि-क्षय मित्र अब सभी टीबी रोगियों के लिए ऊर्जा का एक नया स्रोत बन गए हैं”। यह देखते हुए कि पुराने तरीकों का अभ्यास करके नए समाधान तक पहुंचना बेहद मुश्किल है, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने नई रणनीतियों के साथ काम किया है ताकि टीबी के रोगी अपना इलाज न छोड़ दें। उन्होंने टीबी की जांच और उपचार के लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू करने, देश में परीक्षण प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाने और उन शहरों को लक्षित करके क्षेत्र-विशिष्ट कार्य नीतियां बनाने का उदाहरण दिया, जहां टीबी रोगियों की संख्या अधिक है।

    टीबी रोगियों की घटती संख्या और कर्नाटक तथा जम्मू और कश्मीर को आज प्राप्‍त  पुरस्कार पर गौर करते हुए, प्रधानमंत्री ने 2030 के वैश्विक लक्ष्य के मुकाबले 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए भारत के एक और प्रमुख संकल्प का उल्लेख किया। महामारी के दौरान क्षमता और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में वृद्धि का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने बीमारी के खिलाफ लड़ाई में ट्रेस, टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट और टेक्नोलॉजी के अधिकतम उपयोग की चर्चा की। “भारत के इस स्थानीय दृष्टिकोण में एक विशाल वैश्विक क्षमता है”, उन्होंने सामूहिक रूप से उस क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। 

    उन्होंने बताया कि टीबी की 80 प्रतिशत दवाएं भारत में बनाई जाती हैं। “मैं चाहूंगा कि अधिक से अधिक देशों को ऐसे तमाम अभियानों, भारत के नवोन्‍मेष और आधुनिक तकनीक का लाभ मिले। इस शिखर सम्‍मेलन में शामिल सभी देश इसके लिए एक ऐसा तंत्र विकसित कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे विश्वास है, हमारा यह संकल्प जरूर पूरा होगा- जी हां, हम टीबी खत्म कर सकते हैं।”

    प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हर जरूरतमंद देश की मदद के लिए लगातार तैयार है। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “सबका प्रयास से ही टीबी के खिलाफ हमारा अभियान सफल होगा। मुझे विश्वास है कि आज के हमारे प्रयास हमारे सुरक्षित भविष्य की नींव को मजबूत करेंगे, और हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर दुनिया सौंपने की स्थिति में होंगे”।

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