भारत में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ मिलकर देश की पहली बुलेट ट्रेन की नींव रखी।
प्रधानमंत्री के इस कदम की जहाँ बड़ी मात्रा में सराहना की गयी, वहीँ एक बड़े वर्ग के लोग इसे व्यर्थ मानते हैं। लोगों ने इसमें कई तरह के तर्क दिए हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि भारत में इतनी गरीबी है, फिर हम इतनी महंगी बुलेट ट्रेन कैसे चला सकते हैं? कुछ लोगों का कहना है कि बुलेट ट्रेन सिर्फ अमीरों के लिए है और इससे आम जनता को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। कुछ लोगों का कहना है कि भारत को पहले अपनी पुरानी रेल व्यवस्था को सुधारना चाहिए फिर बुलेट ट्रेन की और बढ़ना होगा।
1837 में जब भारत में रेल शुरू करने की बातें हो रही थी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि आने वाले समय में यह भारत के लोगों की दिनचर्या में इस कदर शामिल हो जायेगी। आज भारतीय रेलवे एक दिन में लगभग दो करोड़ लोगों को सेवा प्रदान करती है।
किसी भी नई तकनीक के आने से लोगों को शुरुआत में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्ही समस्याओं की वजह से कई बार कई तकनीक सफल नहीं हो पाती हैं। लेकिन जब समस्या बहुत बड़ी हो, तो लोग उसे अपना ही लेते हैं।
1986 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने भारत में कंप्यूटर लाने की बात कही थी, तो लोगों ने कई सवाल उठाये थे। लोगों ने कहा था कि यह नौकरियां छीन लेगा। कई लोगों ने कहा कि भारत में लोग पढ़े लिखे नहीं हैं तो वे कंप्यूटर कैसे चलाएंगे?
आज 30 साल बाद कंप्यूटर के बिना जिंदगी की कल्पना करना आसान नहीं है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के दुनिया में भारत विश्व में सबसे आगे है। हर साल भारत करीबन 70 हज़ार करोड़ का सालाना व्यापार सिर्फ कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के दम पर करता है।
किसी भी नई तकनीक के आने से नौकरिया कम नहीं बल्कि बढ़ती ही हैं। भले ही पहले दिन से किसी गरीब व्यक्ति को इससे फायदा ना मिले, लेकिन बाद में तकनीक ही गरीब को नौकरी देती है।
हर तकनीक को सफल बनाने के लिए प्रारम्भ में जोखिम उठाने ही होते हैं। अमेरिका ने 70 के दशक में आदमी को चाँद पर पहुँचाने का सपना देखा, तब किसी ने इसका समर्थन नहीं किया था। लोगों ने इसे मौत के मुँह में जाने जैसा बताया था। लेकिन आज उसी की वजह से हम स्पेस में हर तरह की खोज कर पायें हैं।
कब तक हम भारत को गरीब देश बताकर नई तकनीकों से मुँह मोड़ते रहेंगे? इतिहास में देखे तो हर नई तकनीक ने गरीबी मिटाई ही है। चाहे वो रेल, कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल फ़ोन कुछ भी हो।
अगर इस नयी बुलेट ट्रेन योजना के बारे में शोध करें, तो इसमें 81 प्रतिशत निवेश जापान कर रहा है। इस निवेश राशि को भारत अगले 50 सालों में 0.01 फीसदी ब्याज से चुका सकता है।
इसके अलावा पहली बुलेट ट्रेन देश में आने से बहुत जल्द देश की कंपनियां भी इन्हे बनाना शुरू कर देंगी। इससे बुलेट ट्रेन में सफर करना भी इतना ही सस्ता हो जाएगा।