भारत और मालदीव ने वीजा मानदंडों को आसान कर दिया है जो 11 मार्च से आधिकारिक स्तर पर लागू कर दिया जायेगा। इस वीजा सुविधा समझौते को अमल में लाने के लिए दोनों राष्ट्रों ने कूटनीतिक स्तर पर बातचीत कर ली है। मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहीम सोलिह ने बीते वर्ष दिसंबर में भारत की यात्रा की थी और इसी दौरान वीजा समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
मालदीव के लिए भारत शिक्षा, इलाज और कारोबार के लिए उपयुक्त गंतव्य है। बीते दो वर्षों में मेडिकल ट्रीटमेंट और उच्च शिक्षा के लिए लम्बीअवधि वीजा लेने वालों की संख्या में ख़ासा इजाफा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक मालदीव के अधिकतर लोग अपने बच्चों को शिक्षा के लिए भारत भेजते हैं, वे खासकर तिरुवंतपुरम और बेंगलुरु में आते हैं।
अलबत्ता, भारत में शिक्षा ग्रहण कर रहे मालदीव के बच्चों के माता-पिता को डिपेंडेंट वीजा जारी नहीं किया जाता था,वह सिर्फ पर्यटक वीजा पर ही भारत आ सकते थे। पर्यटन वीजा की अवधि 90 दिनों की होती है और इसके बाद उन्हें वापस जाना होता है या दोबारा वीजा के लिए आवेदन करना होता है।
सूत्र ने बताया कि “अब उन्हें डिपेंडेंट वीजा मुहैया किया जायेगा और वह अपने बच्चे की शिक्षा पूरी होने तक यहां रह सकते हैं। यह वीजा सिर्फ माता-पिता को ही नहीं बल्कि छात्र के भाई-बहनों और दादा-दादी को भी दिया जायेगा। इसी प्रकार पहले मालदीव से मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए पर्यटक वीजा पर भारत आने की अनुमति थी। डॉक्टर से सलाह लेने के बाद यदि उन्हें यहां रहने की जरुरत होती थी, तो वह अपने वीजा को मेडिकल वीजा में परिवर्तित नहीं कर सकते थे।
शुरुआत में भारतीय कारोबारियों को अलग बिज़नेस वीजा के लिए आवेदन करना पड़ता था और इसके लिए मालदीव के कारोबारी की तरफ से आया आमंत्रण पत्र दिखाना होता था। हालाँकि अब वह ‘वीजा ऑन अर्रिवाल’ के तहत आराम से कारोबार कर सकते हैं। मालदीव में भारतीय समुदाय की संख्या दूसरे पायदान पर है जो लगभग 22000 हैं।