मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में जीत का स्वाद चखने के बाद इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने भारतीय प्रधानमंत्री को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्यौता दिया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं ने फोन पर बातचीत की और भारत और मालदीव के संबंधो को नई धार देने की योजना बनाई है।
इब्राहीम सोलिह की प्रवक्ता ने कहा कि दोनों राष्ट्र नजदीकी संबंधों को कायम रखना चाहते हैं और दोनों देश हिन्द महासागर पर शांति और स्थिरता, कानून की महत्वता, लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर नज़र बनाये हुए हैं। उन्होंने कहा चुनावी प्रचार के दौरान उनकी पार्टी साझेदार देशों के साथ रिश्तों में खटास को लेकर परेशान थी। खासकर भारत के साथ संबंधो में जमी बर्फ चिंता का विषय था।
भारतीय सूचना के मुताबिक नरेन्द्र मोदी ने भी इब्राहीम सोलिह को राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की आधिकारिक यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया है जिसे इब्राहीम सोलिह ने स्वीकार कर लिया है।
अबुल्ला यामीन ने चुनाव आयोग से चुनाव के नतीजों का ऐलान करने में देरी करने का आग्रह किया है। विपक्ष का आरोप है कि राष्ट्रपति चाल चल रहे हैं। वह पुलिस को सत्ता के प्रति वफादारी दिखाने का हवाला देकर चुनाव में हेराफेरी की बात कबूल ।करवा लेंगे।
इब्राहीम सोलिह की प्रवक्ता ने कहा की उनका खेमा चुनाव में हार बर्दास्त न करने वाले अब्दुल्ला यामीन से बिना किसी विवाद को उपजाए सत्ता का हस्तांतरण चाहता है। उन्होंने कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा दिए बयानों की सराहना करते है साथ ही चुनाव के नतीजों को भी स्वीकार करते हैं। विपक्षी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी नेता इब्राहीम सोलिह 17 नवम्बर को राष्ट्रपति पद शपथ लेंगे।
क्यों आई मालदीव और भारत के रिश्तों में तल्खी
चीन की मालदीव के साथ निकटता की भारत के लिए चिंता का विषय थी। अब्दुल्ला यामीन के भारत के विमानों को वापस भेजने और भारतियों के वीजा रद्द करने से रिश्तो की खाई और गहरा गई थी
भारत और मालदीव के संबंधों में कटुता अब्दुल्ला यामीन के सत्ता पर बैठने के बाद आई थी। मालदीव की शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया था कि जेल में बंद नौ विपक्षी नेताओं को रिहा कर दिया जाए लेकिन यामीन ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया और देश में 45 दिनों के आपातकाल की घोषणा कर दी।
भारत ने मालदीव के राष्ट्रपति के निर्णय का विरोध किया तो अब्दुल्ला यामीन ने भारत को दुश्मन देश मान लिया।