जापान की बुलेट ट्रेन में स्वच्छता दक्षता की समीक्षा भारतीय रेलवे कर रहा है। भारतीय अधिकारी ने कहा कि जापान की इस हाई स्पीड नेटवर्क पर भरोसा तकनीक के इतर, जापान की कार्यप्रणाली पर भी है। अधिकारी के मुताबिक जापान 300 कुशल कारीगर भारत प्रशिक्षण के लिए भेजेगा।
भारतीय अधिकारी ने कहा कि यह देखना हैरतंगेज़ होगा कि सफाई कर्मचारी मात्र सात मिनट में ट्रेन की सफाई कर देंगे। उन्होंने कहा कि इस यात्रा में यात्रियों को एक बैग से ज्यादा ले जाते हुए नहीं देखा जा सकेगा। नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन के जनरल मेनेजर ब्रिजेश दीक्षित ने बताया कि यह बुलेट परियोजना मुबई से अहमदाबाद तक के लिए पर्याप्त होगी।
उन्होंने कहा कि जापान से प्रशिक्षित हुए भारतीय अधिकारी इस परियोजना पर अध्य्यन कर रहे हैं, उम्मीद है कि वो भारत में इस पर अमल कर पायेंगे। बुलेट ट्रेन में यात्री केवल अपना हैंडबैग ले जा सकते हैं।
इस ट्रेन के सफाई कर्मियों को ‘सात मिनट के चमत्कारी कर्मी’ कहा जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत को इस हाई स्पीड प्रोजेक्ट के कर्मचारियों को तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जापान में बुलेट ट्रेन केवल तकनीक की वजह से नहीं बल्कि जापानी जनता के कारण सफल हुई है।
इम्पीरियल कॉलेज लन्दन के प्रोफेसर रोदेरिक्क स्मिथ ने कहा कि जापान में यात्री बामुश्किल ही सड़कों पर ट्रेन प्लेटफार्म पर बैग घसीटते दिखते हैं। उन्होंने कहा कि जापानी लोग तक्क्युबिन प्रणाली का उपयोग करते हैं, इसमें जापानी लोगो के सामान उनकी सुविधा के अनुसार निर्धारित जगह से उठाये और छोड़ दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि हाई स्पीड नेटवर्क प्रणाली का फायदा उठाने के लिए ऐसे कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए। जापान में बुलेट ट्रेन या शिनकानसेन ट्रेन प्राकृतिक आपदा की वजह से भी मात्र 60 सेकंड तक ही रूकती है।