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    बीजिंग, 26 अप्रैल| चीन के बेल्ट एंड रोड फोरम में दूसरी बार चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का विरोध करते हुए भारत शामिल नहीं हुआ, जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि विवादास्पद परियोजना दूसरे चरण में पहुंच चुकी है और इसका काम आगे बढ़ता रहेगा।

    भारत ने सीपीईसी का कड़ा विरोध किया, जो बेल्ट एंड रोड परियोजना का अहम हिस्सा है, जो पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से गुजरती है। यही कारण है कि भारत इस हजारों अरब डॉलर की कनेक्टिविटी परियोजना का विरोध करता है।

    साल 2017 में बेल्ट एंड रोड फोरम की शुरुआत हुई थी और भारत इस सम्मेलन में सीपीएससी को लेकर दोबारा शामिल नहीं हुआ।

    भारत इस कॉरिडोर को मंजूरी नहीं दे रहा है, जिससे चीन के साथ संबंधों पर भी असर पड़ रहा है।

    चीन का कहना है कि यह परियोजना पूरी तरह से आर्थिक है और इससे कश्मीर मामले पर चीन के तटस्थ रुख को प्रभावित नहीं करेगा।

    चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2013 में बेल्ट एंड रोड पहल का प्रस्ताव दिया था, जिसका लक्ष्य एशिया, अफ्रीका और यूरोप को राजमार्गो, रेल मार्गो और सी लेन्स के माध्यम से जोड़ना है।

    इस तीन दिवसीय आयोजन में 37 देशों के आधिकारिक प्रतिनिधि शामिल हुए, जिसमें शी ने इस आरोप पर अपना बचाव किया कि चीन गरीब देशों को ‘कर्ज के जाल’ में फंसा रहा है।

    चीन का सहयोगी पाकिस्तान उन देशों में शामिल है, जो चीन के कर्ज के बोझ से दबा हुआ है।

    समारोह को संबोधित करते हुए खान ने सीपीईसी की तारीफ की।

    उन्होंने कहा, “पाकिस्तान और चीन सीपीईसी के अलगे चरण में प्रवेश करने जा रहे हैं, जिसमें सामाजिक-आर्थिक उत्थान पर अधिक जोर दिया गया है।” उन्होंने कहा कि इसका अगला चरण ‘पूरक’ होगा, जब देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता किया जाएगा।

    अरबों डॉलर का यह कॉरिडोर चीन के शहर कासगर को अरब सागर स्थित पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को जोड़ेगा।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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