बाघों के संरक्षण के लिए एक बेहतरीन खबर है, भारत में बाघों की संख्या में सार्वधिक वृद्धि हुई है। बाघों की संख्या में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई नही और साल 2014 में 2246 और 2018 में यह बढ़कर 2967 हो गयी है। अब भारत वैश्विक आबादी के 75 फीसदी बाघों का घर है।
भारत ने साल 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है और इस इजाफे ने भारत अपने लक्ष्य के काफी करीब है। इस लक्ष्य को नौ साल पहले तय किया गया था। साल 2006 में यह आंकड़ा 1411 का था।
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “यह संकल्प से सिद्धि का एक सबसे बेहतरीन उदहारण है। जब एक बार भारत की जनता ने कुछ करने का निर्णय ले लिया तो ऐसी कोई ताकत नहीं है जो परिणामो को हासिल करने से रोक सके।”
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर सोमवार को पीएम मोदी ने अपने अधिकारिक आवास की रिपोर्ट जारी की थी। उन्होंने कहा कि “करीब 3000 बाघों के साथ भारत उनके लिए विश्व में सबसे बड़े और सुरक्षित आवास के तौर पर उभर रहा है। यह देश 75 प्रतिशत वैश्विक बाघों की जनसँख्या बेहद समानजनक है।”
वैश्विक स्तर पर जंगली जानवरों की संख्या करीब 3950 है। रूस, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, थाईलैंड, बांग्लादेश और भूटान और अन्य महत्वपूर्ण देश 25 फीसदी बाघों की संख्या में योगदान देते हैं। यह परिणाम भारत के संरक्षण अभियान के प्रयास है।
बाघो की जनसँख्या को बरक़रार रखने के लिए और उनकी देखरेख के लिए संरक्षण इलाको को बढाने की जरुरत है ज अभी भी एक चुनौती है। मोदी ने बॉलीवुड की दो फिल्मो के नाम को इसके साथ जोड़ा था। उन्होंने कहा कि “मैं इस कार्य से जुड़े लोगो मैं सिर्फ कहना चाहता हूँ कि कहानी एक भय से ‘एक था टाइगर’ से शुरू हुई थी और अब ‘टाइगर जिंदा है’ की स्टेज पर पंहुच गया है।”
भारत साल 2006 से प्रत्येक चार वर्षो में बाघों की गिनती और मूल्यांकन कर रहे हैं। बीते चार वर्षों में 33 प्रतिशत के साथ बाघों की संख्या में सार्वधिक वृद्धि हुई है। साल 2006-10 तक वृद्धि 21 प्रतिशत और 2010 से 2014 तक 30 फीसदी की वृध्दि हुई है।
टाइगर सेन्सस रिपोर्ट के मुताबिक, चौथे चरण का आंकलन बेहतरीन मौजूद विज्ञान, तकनीक और आंकलन के औजारों से किया गया है, मसलन जीपीएस, जेनेटिक सैंपलिंग और कैमरा ट्रैप सभी का इस्तेमाल किया गया है।
प्रकाश जावेडकर ने कहा कि “बाघ अपने आवासों से बाहर निकलते हैं, जल और दुआ करते हैं। बाघों के गलियारे के लिए अतिरिक्त जमीन के आवंटन करने का निर्णय लिया था। यह नई नीति मानव-बाघ संघर्ष हालात को नजरंदाज़ करने में मदद करेगा।”
मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व में सर्वधिक संख्या (526) में बाघ है। सथ्यामंगालम टाइगर रिज़र्व तमिलनाडू में प्रबंधन में सबसे अधिक सुधार है। 42 प्रतिशत बाघ संरक्षण बेहतरीन कैटेगिरी, 34 फीसदी बेहतर और 24 प्रतिशत अच्छा है, कोई भी बाघ संरक्षण को बेकार की श्रेणी में नहीं रखा गया है।