केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ श्रमिक संगठनों द्वारा बुधवार को आहूत देशव्यापी बंद के दौरान सड़क पर नाकाबंदी करने और राज्य के स्वामित्व वाली बसों को रोकने की कोशिश करने पर पुलिस ने वामपंथी दलों और ट्रेड यूनियनों के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। प्रदर्शनकारियों को सड़क परिवहन निगम (आरटीसी) की बसों को डिपो से बाहर निकलने से रोकने की कोशिश करने पर विजयवाड़ा, गुंटूर, अंगोले, विशाखापत्तनम, कडपा और अन्य शहरों से गिरफ्तार किया गया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा), अन्य वामपंथी दलों और बंद का आह्वान करने वाले ट्रेड यूनियनों के नेता अपनी-अपनी पार्टियों के झंडे के साथ सड़कों पर प्रदर्शन करते नजर आए। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार की ‘जन-विरोधी’ और ‘मजदूर-विरोधी’ नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की।
वहीं प्रदर्शनकारियों में शामिल मुस्लिम व अन्य अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं ने भी नागरिकता कानून को रद्द करने की मांग की। उन्होंने एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ भी नारेबाजी की।
विशाखापत्तनम स्टील प्लांट (वीएसपी) में भी ट्रेड यूनियनों के नेताओं के साथ हड़ताली कर्मचारियों और वाम दलों के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। ट्रेड यूनियनों का दावा है कि स्टील प्लांट के 30,000 कर्मचारी ‘भारत बंद’ में हिस्सा ले रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने ‘पोस्को गो बैक’ के भी नारे लगाए। उनका कहना है कि सरकार दक्षिण कोरियाई स्टील निर्माता पोस्को के साथ संयुक्त उद्यम की आड़ में वीएसपी का निजीकरण करने की योजना बना रही है, जिसे वे रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
वाम दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विजयवाड़ा, गुंटूर और अंगोल में आरटीसी सेवाओं को बाधित करने की कोशिश की।
वाम दलों और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने विजयवाड़ा-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम किया। भाकपा के राज्य सचिव के. रामकृष्ण पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल थे। वहीं रामकृष्ण ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी की निंदा की।