पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को प्रस्ताव दिया कि भारत को जम्मू कश्मीर के नेताओं को रिहा करना होगा और उन्हें मुझसे मिलने की अनुमति देनी होगी तभी दिल्ली के साथ द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है। इस्लामाबाद ने दिल्ली के साथ सशर्त बातचीत का प्रस्ताव दिया था।
एक दिन पूर्व ही पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने द्वितीय विश्व युद्ध की तरह जंग होने की धमकी दी थी लेकिन यह परमाणु छाया के तहत है। उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान ने भारत के साथ बातचीत के लिए कभी इनकार नहीं किया है लेकिन भारतीय पक्ष की तरफ से बातचीत के लिए उचित माहौल स्पष्ट नहीं है।”
कुरैशी ने कहा कि “पाकिस्तान हमेशा से बातचीत के जरिए भारत के साथ मौजूदा मुद्दों को हल करना चाहता है और अगर कोई देश मध्यस्थता करेगा तो पाकिस्तान उसका भी स्वागत करेगा।”
कुरैशी ने कहा कि “पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार तो है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब भारत समान रूप से इसमें दिलचस्पी लेगा। बातचीत के लिए शर्त रखते हुए कुरैशी ने कहा कि भारत को पहले जम्मू-कश्मीर से पाबंदियां हटानी चाहिए साथ ही नजरबंद किए गए कश्मीरी नेताओं को भी छोड़ देना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि “कश्मीर विवाद में तीन पक्ष शामिल हैं, पाकिस्तान, भारत और कश्मीर। मेरे ख्याल से यदि भारत इस पर गंभीर है, तो उसे कश्मीरी नेतृत्व को छोड़ देना चाहिए और मुझे उनसे मिलने और परामर्श करने की अनुमति देनी चाहिए। मुझे उनकी भावनाओं का आंकलन करना होगा क्योंकि पाकिस्तान उनकी भावनाओं का अनादर करके और उसे कुचलकर बातचीत नहीं कर सकते हैं।”
कुरैशी ने कहा कि “कश्मीर विवाद से निपटने के लिए जंग कोई विकल्प नहीं है। पाकिस्तान कभी आक्रमक नीति का पालन नहीं करता है और हमेशा शान्ति को तरजीह देता है। हमने हमेशा वार्ता को शुरू करने की पेशकश की है क्योंकि दो परमाणु संपन्न देश युद्ध का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। यह जंग विह्स्व और लोगो के लिए तबाही लेकर आयेगी।”
5 अगस्त को इमरान खान ने नई दिल्ली को सबक सिखाने की धमकी दी थी। पाकिस्तान की संसद को बताया कि पुलवामा जैसी घटनाएं फिर से होने के लिए बाध्य हैं। फिर क्या होगा? वे हम पर हमला करेंगे और हम जवाब देंगे और युद्ध दोनों तरफ से जा सकती है। लेकिन अगर हम तब तक युद्ध लड़ते हैं जब तक हम अपने खून की आखिरी बूंद नहीं बहा देते हैं, तो युद्ध कौन जीतेगा? कोई भी इसे नहीं जीतेगा और इसके पूरे विश्व के लिए दुखद परिणाम होंगे। यह परमाणु ब्लैकमैलिंग नहीं है।”
गुरुवार को विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि “हम भारत के आंतरिक मामलों पर पाकिस्तानी नेताओं द्वारा की गई गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी और ट्वीट की निंदा करते हैं। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य भारत के लिए खतरनाक परिस्थिति का निर्माण करना है जो जमीनी वास्तविकताओं से दूर है। पाकिस्तान को यह समझने की जरूरत है कि उन्हें हर तरफ से मात मिली है। दुनिया ने झूठ और छल के आधार पर उनकी उत्तेजक और बेबाक बयानबाजी को देखा है।”