तज़ाकिस्तान में 11-12 अक्टूबर को संघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक का आयोजन होगा। इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी आमने सामने होंगे।
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके पाकिस्तान समकक्ष शाह मेहमूद कुरैशी के मध्य इस बैठक में दोबारा वार्ता न होने को सौ फीसदी संभावनाएं हैं। दोनों राष्ट्रों के मध्य उपजे राजनीतिक और सैन्य मतभेदों के कारण विदेश मंत्री एक-दूसरे से दूरी बना सकते हैं।
पिछली बार सार्क सम्मलेन की बैठक में दोनों राष्ट्रों के विदेशमंत्रियों ने शिरकत की थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत से आग्रह किया था कि इस सम्मलेन के इतर सुषमा स्वराज और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी की मुलाकात होनी चाहिए। इस बैठक का मकसद दोनों राष्ट्रों के विवादित मुद्दे और क्षेत्रीय भागीदारी पर वार्ता करना था।
भारत ने इस आग्रह को खारीज करते हुए पाकिस्तान की सरकार पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाए। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि आतंकवाद और वार्ता एक साथ संभव होना मुमकिन नहीं है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र की सभा और एशिया सम्मलेन में भाषण का दौरान भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला था। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा था कि पाकिस्तान में हो रहे आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड भारत है।
एससीओ के इस विशाल सम्मलेन में भारत और पाकिस्तान के विदेशमंत्रियों का एक दूसरे का अभिवादन करते हैं या नहीं यह देखना वाकई दिलचस्प होगा।
तज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन सभी सरकारों के प्रमुखों की मेहमाननवाज़ी करेगी। इस बैठक का आमंत्रण भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों को भी दिया गया है। इस भव्य सम्मेलन में आर्थिक, रक्षा, सांस्कृतिक, वित्तीय और मानवीय सहयोगों के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये जायेंगे। एससीओ अन्य राष्ट्रों को भी इस संघठन में शामिल करने की तैयारी कर रहा है।
जून में चीन ने क़िंगदाओ में इस बैठक का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शरीक हुए थे।