चीन ने शुक्रवार को कहा कि “उसने कभी भारत और पाकिस्तान को परमाणु शक्तियों के रूप में दर्जा नहीं दिया है। इसके अलावा चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की वियतनाम में असफल वार्ता के पश्चात उत्तर कोरिया को भी यह दर्जा देने से भी इंकार कर दिया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि “चीन ने कभी भारत और पाक को परमाणु सम्पन्न देश के रूप में मान्यता नही दी है और न ही इसमे हमारे फैसले में कोई परिवर्तन नही आएगा।
उत्तर कोरिया, भारत और पाकिस्तान को परमाणु देश के रूप में मान्यता देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा संभव नही है। 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में चीन इस आधार पर भारत के प्रवेश में रोड़ा डालता रहा है। भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
अफवाहों के अनुसार नरेन्द्र मोदी और शी जिनपिंग के मध्य वुहान वार्ता के दौरान चीन ने भारतीय प्रवेश को रजामंदी दी थी। दोनों नेताओं के मध्य इसके बाद तीन मुलाकात हो चुकी है।
चीन को महसूस होता है कि भारत जैसे देश जिन्होंने परमाणु हथियार अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये है, एनएसजी में प्रवेश के योग्य नहीं है।
भारत ने नॉन-प्रोलिफेराशन ऑफ़ न्यूक्लियर वेपन की संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं लेकिन एक स्पष्ट अप्रसार रिकॉर्ड के कारण एनएसजी में प्रवेश को अपना अधिकार मानता है।
जानकारी के मुताबिक चीन भारत को एनएसजी में प्रवेश करने में तब तक अड़ंगा लगाता रहेगा, जब तक उसका करीबी यार पाकिस्तान को एनएसजी की सदस्यता के लिए अयोग्य है। एनएसजी परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों का समूह है।