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अमेरिका के सैनिक

भारत और पाकिस्तान के मध्य जारी विवाद का असर किसी तीसरे देश पर न पड़ने देने की अमेरिका कोशिश कर रहा है।तालिबान के विद्रोहियों के साथ अमेरिका 17 वर्षों से जारी जंग को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करना चाहता है। डोनाल्ड ट्रम्प का प्रशासन 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद दोनों मुल्कों के मध्य शान्ति रखने का प्रयास कर रहा है।

पाकिस्तान की धमकी

अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी ने रायटर्स को बताया कि “अमेरिका ने पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ वार्ता की है और भारत के साथ विवाद को कम करने के महत्व को बताया, इस्लामाबाद ने अमेरिका को अफगानिस्तान पर चेतावनी दे दी थी।”

अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि “पाकिस्तान के अधिकारी ने कहा कि अफगान शान्ति वार्ता में हमारे समर्थन की क्षमता खतरे में हो सकती है। वह बिचौलिया बनना छोड़ देंगे। साथ ही तालिबान पर बनाये दबाव को वह रोक देंगे।” पाकिस्तानी अधिकारी ने अमेरिका को चेतावनी दी थी।

पाकिस्तान ने सार्वजनिक तौर पर पुलवामा में हुए आतंकी हमले में अपनी भूमिका से इंकार कर दिया था। लेकिन पाकिस्तान के जैश ए मोहम्मद आतंकी समूह ने इसकी जिम्मेदारी ली थी और भारत ने इस्लामाबाद पर आतंकी समूह को समर्थन करने का आरोप लगाया था।

अफगान मसला पाक की हद मे नहीं

अमेरिकी राज्य विभाग के पूर्व अधिकारी लौरेल मिलर ने कहा कि “मुझे यकीन नहीं है कि पाकिस्तान के समक्ष अफगानिस्तान में शान्ति स्थापित करने की क्षमता है लेकिन निश्चित रूप से उनके पास अशांति फ़ैलाने की काबिलियत जरूर है।”

वांशिगटन में पाकिस्तानी अधिकारी ने बताया कि “अभी तनाव कम है लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों का एक काफिला अफगानिस्तान की सीमा से भारत से लगी पूर्वी सीमा पर तैनात किया गया है। बीते माह भारत के साथ तनाव बढ़ने के बाद पाकिस्तान अफगानिस्तान पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाया है और इसका असर शान्ति वार्ता पर भी हुआ है।”

पूर्व विशेष अमेरिकी प्रतिनिधि डान फेल्डमैन ने कहा कि “अधिकतर पाकिस्तानी अधिकारी जिन्होंने भारत के साथ सौदा किया था, वह अफगानिस्तान के लिए भी जिम्मेदार है। तनाव का असर शांति वार्ता पर भी होगा। दक्षिण एशिया में अमेरिका का कम ध्यान सबसे बड़ी समस्या है।”

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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