भारत को सैन्य हथियार बेचने वाले देशों पर पाकिस्तान ने जुबानी हमला किया है। अमेरिका और रूस को दोहरे मापदंडो वाला देश बताया था।
भारत को सैन्य हथियार बेचकर ये देश क्षेत्रीय स्थिरता को चुनौती दे रहे हैं। पाकिस्तान के यूएन मिशन के प्रथम सचिव जेह्नावाब खान ने कहा कि दक्षिण एशिया में दोहरे मापदंडों वाली नीति राजनीति, रणनीति और वाणिज्यिक पर आधारित है, जो जल्द ख़त्म होनी चाहिए।
पाकिस्तानी राजदूत ने न भारत का नाम लिया और न ही किसी अन्य देश का जो भारत को हथियार सप्लाई करता हो। भारत को क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाने का दोषी मानने वाले पाकिस्तानी राजदूत ने कहा कि एक राज्य की सेना हथियार को खरीदने में अधिक निवेश कर रही है। यही रणनीति क्षेत्रीय अस्थिरता के लिए चिंता का सबब बनेगी।
इस्लामाबाद दक्षिण एशिया के क्षेत्र में रणनीतिक संयम बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध है। जिसमें पारंपरिक ताकत का भी इस्तेमाल किया जायेगा। पिछले माह पेंटागन ने इस्लामाबाद पर आतंकी समूहों पर नकेल कसने में विफल बताया और 300 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी थी।
पाकिस्तान में अब भी लश्कर- ए- तैयबा और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूह बेरोकटोक गिरोह को संचालित कर रहे हैं। मार्च में अमेरिका ने रक्षा विभाग के बजट में से 500 मिलियन डॉलर की राशि की कटौती की थी।
बीते जनवरी में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया था कि पाकिस्तान की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी गयी है जो लगभग 1.3 बिलियन डॉलर थी।
पिछले माह भारत और अमेरिका ने कम्युनिकेशन, कॉम्पब्लिटी एंड सिक्योरिटी अग्रीमेंट (सीओएमसीएसीए) पर हस्ताक्षर किये थे। इस सीओएमसीएसीए पर हस्ताक्षर करने से भारत को अमेरिका की नवीनतम हथियार और सैन्य तकनीक खरीदने की अनुमति मिल गयी है।
अमेरिका ने भारत को सैन्य विमान और हथियार सप्लाई करने की बात कही थी। अमेरिका ने रूस पर सैन्य हथियार की सौदेबाजी पर प्रतिबंध लगा रखे है हालांकि इन प्रतिबंधो के बावजूद भारत ने रूस से एस 400 मिसाइल का सौदे पर हस्ताक्षर किये थे। एस-400 मिसाइल की अनुमानित कीमत पांच बिलियन डॉलर है।