पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख दोनों देशों के मध्य वार्ता को पुनः आरंभक करने की इच्छा जाहिर की है।
इस बार वार्ता के अर्थपूर्ण होने की बात पीएम खान ने उस वक्त कही जब भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और
पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी संयुक्त राष्ट्र की बैठक में इस माह के अंत में मिलेंगे।
इमरान खान का यह पत्र मोदी की सार्थक और रचनात्मक बातचीत के प्रयास के जवाब में है।
खान ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर भारत सकारत्मक रिश्ते बनाने के लिए एक कदम आगे बढ़ता है तो हम दो कदम बढ़ाएंगे।
पिछले कुछ समय से स्वराज और महमूद के यूएन में मिलने पर संशय बना हुआ था।
पाक की नई सरकार बनने के बाद इस्लामाबाद की और से यह पहला आधिकारिक प्रस्ताव है।
सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने साल 2015 में शुरू हुई द्विपक्षीय वार्ता प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने पर जोर दिया है।
यह प्रक्रिया पठानकोट एयरबेस में हमले की वजह से रोक दी गयी थी। इमरान खान ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को
सभी प्रमुख मुद्दों को बातचीत के जरिये सुलझाना चाहिए। इसमे कश्मीर और आतंकवाद सबसे जरूरी है।
ज्ञात हो भारत की पाक के साथ अंतिम वार्ता दिसंबर 2015 में एशिया कांफ्रेंस की बैठक में हुई थी।
उस वक़्त विदेश सचिवों के साझा बयान में कहा गया था कि भारत और पाक शांति, सुरक्षा, कश्मीर विवाद, आतंकवाद, व्यापार सहयोग जैसे मुद्दों को वार्ता के जरिये सुलझाएंगे।
मोदी सरकार चाहती है कि पाकिस्तान आतंकवाद पर नकेल कस दोनो देशों के बीच बातचीत के लिए जमीन तैयार करे।
पाकिस्तान सरजमीं से हिंदुस्तान पर हमला न हो। पीएम मोदी के लिखे पत्र में उन्होंने फ़ोन पर की गई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप को आतंक और हिंसा से मुक्त करेंगे और विकास गतिविधियों पर ध्यान देंगे।
विशेषज्ञों को इमरान खान के आर्मी के साथ रिश्तों के कारण सकारात्मक शुरुआत की उम्मीद नहीं थी।
पीएम मोदी का पत्र मिलने के बाद इमरान खान ने ट्वीट किया था कि भारत और पाक को एक कदम आगे बढ़ते हुए कश्मीर विवाद का हल निकालना चाहिए।
केरला बाढ़ के पीड़ितों को राहत पहुंचाने के समय पीएम खान ने कहा था कि उपमहाद्वीप की आवाम को गरीबी से मुक्त करने के लिए हमे व्यापार को बढ़ाना चाहिए ।