पाकिस्तान का ख़ुफ़िया विभाग इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई), जो बीते सात दशकों से देश की सेना और मिलिट्री के मसलों में दखलंदाजी करती रही है। अमेरिका की ग्लोबल सिक्योरिटी रिव्यु ने कहा कि पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आतंकी संगठनों का समर्थन करती है जो भारत के खिलाफ माहौल को तैयार करते हैं और आईएसआई का अफगानिस्तान में बहुत प्रभुत्व है।
वरिष्ठ संपादक और अंतर्राष्ट्रीय मसलों के विशेषज्ञों का इंटरव्यू लेने वाले एलेक्सांद्रा गिल्लियार्ड ने लिखा कि पाकिस्तान जम्मू और कश्मीर में आतंकियों को सुरक्षित पनाह मुहैया करता है। उन्होंने 7 दिसम्बर को कश्मीर के किश्वर जिले में हुए हमले का उदाहरण दिया, जहां पुलिस ने पाकिस्तान के ख़ुफ़िया विभाग के लिए काम करने वाले सहरान शेख को गिरफ्तार किया था।
उन्होंने कहा कि ऐसे हालात न्यायिक प्रक्रिया से नहीं सुलझते हैं, इस वारदात ने पाकिस्तान की ख़ुफ़िया विभाग आईएसआई और आतंकी संगठनों के संबंधों को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास पाकिस्तान के क्षेत्रीय प्रभुत्व के प्रचार करने के लिए होते है, जबकि इससे अफगानिस्तान और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को खतरा होता है।
उन्होंने कहा कि आईएसआईकई आतंकी संगठनों को आर्थिक सहायता और समर्थन करता है, इसमें अफगानिस्तान के हक्कानी और तालिबान भी शामिल है।
गिल्लियार्ड ने आईएसआई के आतंक विरोधी नीति को अमल में लाने पर विफल होने की भी आलोचना की है। बीते कुछ वर्षों से पाकिस्तान में आतंकी हमलों में कमी आई है और आईएसआई आतंक रोधी योजना को साल 2013-16 में लाया गया था। आईएसआई निरंतर भेदभाव फ़ैलाने बाले चरमपंथियों का समर्थन करती है और नए नेतृत्व वाले समूह इस क्षेत्र में फैलते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की आतंक के खिलाफ जंग की शपथ के बाद आईएसआई अपने हित के लिए चरमपंथी समूह का समर्थन करती रही और आईएसआई विरोधी समूहों का विनाश करने में जुट गयी थी। आतंक विरोधी अभियान की विसंगतियों के कारण पाकिस्तान के ख़ुफ़िया विभाग को, अमेरिका के सैन्य दस्तावेजों में आतंकी संगठनों के साथ शामिल किया था। आईएसआई के अधिकारियों के साथ आतंकियों की तरह व्यवहार किया जाता था।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आईएसआई ने आतंकी संगठनों का समर्थन जारी रखा ताकि भविष्य में अपने विरोधी भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सके। पाकिस्तान की पुलिस के मुताबिक आईएसआई के अधिकारी समर्थित आतंकियों से सम्बंधित जांच में दखल देते हैं। पाकिस्तान और आईएसआई भारत के क्षेत्रीय प्रभुत्व को सीमित रखने के लिए कार्य करते हैं। आईएसआई भारत विरोधी आतंकी समूहों का समर्थन करता है।