पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री इमरान खान ने गुरुवार को कहा कि उनका मुल्क अब भारत के साथ बातचीत करने में दिलचस्प नहीं है। न्यूयोर्क टाइम्स में प्रकाशित आर्टिकल में खान ने कहा कि “उनसे बात करने का कोई तुक नहीं है। मेरे मतलब, मैंने सभी बातचीत कर ली है। अफसोसजनक अब मैं जब पीछे देखता हूँ। मैंने शान्ति और वार्ता के लिए सभी प्रयास कर लिए हैं। जितना मैं कर सकता था यह उससे कही ज्यादा है।”
कई वैश्विक नेताओं ने पाकिस्तान को भारत के साथ द्विपक्षीय तरीके से इस मुद्दे को सुलझाने की नसीहत दी है। जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का फैसला भारत सरकार ने लिया तरह और वहां के विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त कर दिया था। भारत ने निरंतर इसे स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के साथ बाथ्सित तभी संभव है जब वह सीमा पार आतंकवाद पर लगाम लगाये।
इमरान खान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का भी समर्थन हासिल करने में असमर्थ रहा है। उन्होंने भी पाकिस्तान को कश्मीर मामला द्विपक्षीय वार्ता से हल करने कु सुझाव दिया है। इसके आलावा फ्रांस और स्वीडन ने भी पाकिस्तान को भारत के साथ बातचीत करने की हिदायत दी थी।
भारत के इस कदम से बौखलाकर पाकिस्तानी ने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को चीन की यात्रा पर भेज दिया था। चीन ने इस मामले पर यूएन की तत्काल बैठक को बुलाया था।
पाक ने बीते हफ्ते विदेश मंत्री को चीन की यात्रा पर भेजा था ताकि उनकी मदद से यूएन की एक तत्काल बैठक को बुलाया जा सके। यूएन की बैठक में पांच में से चार सदस्य देशो ने पाकिस्तान के पक्ष का समर्थन नहीं किया था और इससे बैठक में चीन और पाकिस्तान अलग थलग पड़ गए थे।
बीते हफ्ते डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान से फ़ोन पर बातचीत की थी और यह स्पष्ट कर दिया था कि यह दोनों देशो के बीच का आंतरिक मामला है और मंगलवार को खान ने ट्रम्प को कश्मीर के हालातो के बारे में बताया था। साथ ही डोनाल्ड ट्रम्प से कश्मीर विवाद का हल निकालने की गुजारिश की थी।