सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत सोमवार को एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें वह इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे कि प्रौद्योगिकी किस तरह से दुनियाभर में युद्ध की प्रकृति को बदल रही है। इस दौरान वह भारत के समक्ष ‘नॉन कॉन्टैक्ट’ युद्ध की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। बैठक में भारतीय सेना प्रमुख के लिए चुने गए लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने नॉन कॉन्टैक्ट युद्ध पर तथा दुनिया की प्रमुख शक्तियों द्वारा सैन्य पुनर्गठन कार्यक्रम के तौर पर जोड़े गए अपरंपरागत घटकों पर फोकस करेंगे।
रावत 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल नरवाने को नया सेना प्रमुख नियुक्त किया है।
भारत के समक्ष नॉन कॉन्टैक्ट युद्ध की चुनौतियों से चिंतित रावत ने कहा, “यह एक गंभीर मुद्दा है। हम नॉन कॉन्टैक्ट युद्ध के लिए अपनी तैयारी कर रहे हैं।”
मानेकशॉ सेंटर में आर्मी टेक्नोलॉजी सेमिनार के दौरान होने वाली चर्चा में सैन्य अभियानों में शामिल हो चुके लोग, सरकार के प्रतिनिधि, उद्योग जगत से तथा शिक्षाविद शामिल होंगे।
इस दौरान रक्षा क्षेत्र में स्वदेश पर निर्भरता तथा नॉन कॉन्टैक्ट युद्ध में प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा अन्य क्षेत्रों के उभरती चुनौतियों पर भी फोकस किया जाएगा।
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा, “सैन्य नवोन्मेषी अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे तथा उद्योग जगत को इन्हें और उन्नत करने तथा इनके उत्पादन के लिए प्रस्ताव देंगे।”
उन्होंने कहा कि नॉन कॉन्टैक्ट युद्ध में किसी भी देश की जीत उसके विरोधी को उसकी ही जमीन पर उसकी सेना को हराने, दुश्मन की आर्थिक क्षमता तथा राजनीतिक प्रणाली को नष्ट करने में निहित होती है।
अधिकारी ने कहा, “इसके लिए देश को अपनी कमान, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर, इंटेलीजेंस (खुफिया तंत्र), सर्विलांस और सैन्य परीक्षण तंत्र को उन्नत करने की जरूरत होती है।”
उन्होंने कहा कि बैठक में नॉन कॉन्टैक्ट युद्ध के मुद्दे पर भविष्य की योजना बनाई जाएगी।