मालदीव में उभरे राजनीतिक संकट के बादल अब छंटने लगे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव की नवनिर्वाचित सरकार के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होने मालर गए थे। इब्राहिम सोलिह ने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कहा कि देश के खजाने को लूटा गया है, चीन से इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कर्ज के लेने के बाद मालदीव में भी आर्थिक तंगी आ सकती है। इस समारोह में शामिल हुए पीएम मोदी ने कहा कि मालदीव के आर्थिक संकट के समय भारत सदैव खड़ा रहेगा।
इब्राहिम सोलिह ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक हितों के लिए निर्माण किये प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अंधाधुंध कर्ज लिया गया जिससे काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि गबन एयर भ्रष्टाचार में स्थानीय मुद्रा रूफिया का काफी नुकसान हुआ है। इब्राहिम सोलिह की टीम ने बताया कि देश ने चीनी फर्म से 1.5 बिलियन डॉलर का कार्य लिया है, जो देश के सालाना सकल घरेलू उत्पाद के एक चौथाई से भी अधिक है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि पीएम मोदी और इब्राहिम सोलिह ने एक दूसरे के देशों की चिंताओं को समझने पर सहमति जताई। साथ ही हिन्द महासागर के स्थिरता बनाये रखने के लिए भी प्रतिबद्धता दिखाई थी। चीन ने उम्मीद जताई कि चीन की मालदीव के साथ पुरानी नीतियां चालू रहेंगी और मालदीव चीनी फर्म के लिए सकारात्मक रुख दिखायेगा।
हाल ही में चीन ने श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाकर उनका हंबनटोटा बंदरगाह छीन लिया था, श्रीलंका की सरकार चीन से प्रभावित है। भारत का मालदीव एक विशेष आर्थिक और राजनीतिक साझेदार है। बाहरी द्वीपों पर चीन की बढ़ती गतिविधियों से भारत चिंतित है।
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में 45 दिनों का आपातकाल घोषित कर दिया था। इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति ने विपक्षी दलों का के दिग्गज नेताओं को जेल में बंद का दिया था व अन्यों को देश से निर्वासित होने को मजबूर कर दिया था।