भारत व नेपाल के बीच में दोस्ती कई सालों से चली आ रही है। भारत व नेपाल एक-दूसरे को अपना मजबूत पड़ोसी देश मानते है। हिमालयी राष्ट्र नेपाल दो देश भारत व चीन के बीच में स्थित है।
बीते कुछ सालों में भारत व नेपाल के बीच रिश्तों में कमजोरी आई थी। लेकिन साल 2017 में वापस से भारत व नेपाल के बीच में रिश्ते मजबूत देखे गए।
भारत-नेपाल संबंधों को द्विपक्षीय आदान-प्रदान की वजह से इस साल मजबूती मिली। लेकिन हाल ही में नेपाल में सम्पन्न हुए चुनावों में वाम गठबंधन ने जीत हासिल की है और नए प्रधानमंत्री केपी ओली बनने जा रहे है।
ऐसे में भविष्य के बारे में तो कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन इस साल 2017 में जरूर दोनों देशों के बीच में मजबूत रिश्ते देखने को मिले।
भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और चीनी रक्षा मंत्री जनरल चान वानक्यू ने नेपाल के साथ सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए नेपाल की यात्रा की।
नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने की भारत यात्रा
इस साल अप्रैल में नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने साल 2015 में पद संभालने के बाद पहली बार विदेश यात्रा के दौरान भारत आई थी। साथ ही भारत के साथ संबंधों के महत्व को उजागर किया था।
भारत यात्रा के दौरान विद्यादेवी ने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। जिससे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिली थी।
विद्यादेवी की भारत यात्रा से पहले भारत के वित्त मंत्री अरूण जेटली नेपाल निवेश शिखर सम्मेलन में भाग लेने गए थे और उन्होंने नेपाल में भारतीय निवेश की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी।
नेपाल को वित्तीय सहायता देने व शेर बहादुर देउबा से रिश्ते हुए मजबूत
भारत ने नेपाल में तकनीकी संस्थानों के निर्माण के लिए उसे 44 मिलियन रूपये देने का ऐलान किया था। इसी साल जून माह में प्रचंड ने 70 वर्षीय नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को नेपाल के चौथे प्रधानमंत्री पद के लिए कार्यभार सौंपा था।
शेर बहादुर देउबा को भारत की निकटतम सहयोगी माना जाता है। राष्ट्रपति बनने के बाद देउबा ने भारत दौरे के दौरान पीएम मोदी सहित शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात की थी।
जुलाई महीने में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बिम्सटेक में भाग लेने के लिए नेपाल गई थी। यहां पर नेपाली नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई।
इसके अलावा भारत ने नेपाल के साथ इस साल 2017 में रेल कनेक्टिविटी के लिए सहयोग किया। इसके लिए तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु नेपाल गए थे और नेपाल को दिल्ली और कोलकाता के साथ जोड़ने से संबंधित चर्चा की थी।
चीन की वन बेल्ट वन क्षेत्र (ओबीओआर) का हिस्सा बना नेपाल
जब से नेपाल, चीन की ओबीओआर पहल का हिस्सा बना है तब से ही नेपाल ने भारत के साथ दूरी बनानी शुरू कर दी। साथ ही भारतीय निवेश को संदेह के साथ देखा जाने लगा।
नेपाल के तत्कालीन पीएम प्रचंड ने चीन का दौरा भी किया था और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात भी की थी। पाकिस्तान व श्रीलंका के साथ ही नेपाल ही चीन की ओबीओआर पहल का हिस्सा बना था।
नेपाल चुनावों में जीत के बाद वाम व माओवादी गठबंधन ने कहा था कि वे नेपाल के विकास के लिए भारत व चीन से सहयोग चाहते है।
लेकिन अपने क्षेत्र के मामलों में किसी भी अन्य पक्ष का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे। नेपाल में केपी ओली व प्रचंड को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावों में जीतने पर बधाई भी दी।