हाल ही की एक रिपोर्ट के अनुसार नेटफ्लिक्स और घरेलू स्तर की प्रतिद्वंद्वी हॉटस्टार संभावित सरकारी सेंसरशिप को रोकने के प्रयास में भारत में अपने प्लेटफार्मों पर स्ट्रीम की गई सामग्री के लिए स्व-विनियमन दिशानिर्देशों को अपनाने की योजना बना रही है।
भारत में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेंसरशिप के क़ानून का अभाव :
भारत में फिल्म और टीवी प्रमाणन निकाय हैं जो सार्वजनिक सामग्री को मॉडरेट करते हैं लेकिन देश के कानून वर्तमान में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों पर सामग्री के किसी भी सेंसरशिप को अनिवार्य नहीं करते हैं। इसके चलते हाल ही में नेत्फ्लिक्स में जारी हो रही सीरीज में कई ऐसी चीज़ें देखने को मिली जिसे अनुमति नहीं है लेकिन उसके लिए कोई क़ानून भी नहीं है।
इसके चलते वैश्विक वीडियो स्ट्रीमिंग बाजार का दिग्गज, नेटफ्लिक्स को पिछले साल एक शिकायत के बाद कानूनी लड़ाई में खींचा गया था कि इसकी पहली भारतीय मूल श्रृंखला “सेक्रेड गेम्स” ने पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता राजीव गांधी का अपमान किया था।
क्या हैं नए दिशा निर्देश ?
सेक्रेड गेम्स के कारण विवाद हो गए थे की इसमें पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गाँधी का अपमान किया गया है जिसके चलते सरकार को नोटिस भेजा गया था की जल्द ही ऑनलाइन स्ट्रीमिंग पर कोई एक्शन लेना होगा।
हालांकि सरकार ने इसका कोई कानून लागू नहीं किया है लेकिन नेटफ्लिक्स ने स्व विनियमन दिशानिर्देशों को अपनाने की बात कही है जिसके अंतर्गत वह कोई भी ऐसी सामग्री नहीं बनाएगी जिसमे वह बच्चों को यौन गतिविधियों में संलग्न दिखाती है या भारतीय राष्ट्रध्वज का अपमान होता है या आतंकवाद को बढ़ावा देता है।
इसके तहत जो भी इन निर्देशों की पालना करेगा वह कोई ऐसी सामग्री निर्मित नहीं करेगा जिससे लोगों के धार्मिक भावनाएं आहत हों एवं इससे किसी विवाद का जन्म हो।
क्यों उठाना पड़ा ये कदम ?
सत्यम सिंह, जस्टिस फॉर राइट्स फाउंडेशन के संस्थापक जोकि एक स्थानीय नॉन-प्रॉफिट संस्थान है, ने बताया की उनके संस्थान ने पिछले साल के अंत में अमेज़ॅन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार के खिलाफ यौन रूप से स्पष्ट सामग्री दिखाने और ऑनलाइन सामग्री के लिए एक नियामक की मांग करने के लिए मामला दर्ज किया। इसके लिए उन्होंने उचित दिशानिर्देश लागू करने का निवेदन किया था।