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    साल 2018 आस्ट्रेलिया के लिए उसकी रिवाइवल प्रॉसेस को गर्त में पहुंचाने वाला साल साबित हुआ था, लेकिन 2019 में पांच बार की विश्व विजेता ने गजब की वापसी करते हुए एक बार फिर खुद को खेल के तीनों फॉरमेंट्स में मजबूत टीम की जमात में शामिल कर लिया।

    2019 में उसकी वापसी की शुरुआत भारत दौरे पर हुई थी, जहां उसने भारत को पांच मैचों की वनडे सीरीज में 3-2 से हरा इतिहास रचा था। याद दिला दें कि इस सीरीज में न स्टीव स्मिथ थे और न डेविड वार्नर। साल 2020 की शुरुआत में भी आस्ट्रेलिया को भारत का दौरा करना है वो भी तीन मैचों की वनडे सीरीज के लिए। अब इस टीम में स्मिथ भी हैं और वार्नर भी। बस देखना यह है कि जिस तरह आस्ट्रेलियाई टीम 2018 को पीछे छोड़ 2019 में आगे बढ़ी थी, उस सफर को 2020 में एक कदम और आगे ले जा पाती है या नहीं?

    इसके लिए जरूरी है कि वो भारत में वही प्रदर्शन को दोहराए जो उसने 2019 में किया था क्योंकि यह उसके लिए न सिर्फ मानसिक मनोबल देने वाला काम करेगा बल्कि विश्व में आस्ट्रेलिया की पुरानी साख को पुख्ता कर देगा, जो आस्ट्रेलिया चाहती है।

    2018 में वो सैंडपेपर गेट मामला था, जिसने आस्ट्रेलिया के दो दिग्गजों स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर को एक साल के लिए दूर कर दिया था। इसके बाद आस्ट्रेलिया ने क्या नहीं देखा। हार के बाद हार। भारत ने विराट कोहली की कप्तानी में 71 साल बाद आस्ट्रेलिया को उसी की जमीन पर पहली बार टेस्ट सीरीज में मात दी।

    इस एक साल ने आस्ट्रेलिया की विश्व क्रिकेट की मशहूर ख्याति को धक्का दिया था, लेकिन अपने हार न मानने वाले जज्बे वाली इस टीम ने 2019 में वापसी भी की और वो भी भारत को उसके ही घर में वनडे सीरीज में मात देकर।

    इसके बाद विश्व कप हुआ और मौजूदा विजेता का तमगा लेकर इंग्लैंड पहुंची आस्ट्रेलिया एका-एक खिताब की दावेदार के तौर पर गिनी जाने लगी। सफर सेमीफाइनल में खत्म हो गया था लेकिन आस्ट्रेलिया अपने र्ढे पर वापस लौटती दिख रही थी।

    फिर इंग्लैंड के साथ हुई एशेज सीरीज जहां स्मिथ का जो बल्ला चला, वो रुका नहीं। टिम पेन की कप्तानी में आस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 2-2 की बराबरी पर रोककर ट्राफी अपने पास ही रखी।

    तब से आस्ट्रेलिया पटरी पर है। एक नई टीम जो मजबूत है, युवा है और नई सोच की परिचायक है। स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर की वापसी ने उसकी बल्लेबाजी को वो मजबूती दी है जिसकी उसे जरूरत थी। लेकिन साथ ही मार्नस लाबुशैन के रूप में आस्ट्रेलिया को वो बल्लेबाज मिला है जो स्मिथ की विरासत को आगे ले जाने और उनका साथ देना का माद्द रखता है। सिर्फ लाबुशैन नहीं, विकेटकीपर एलेक्स कैरी भी वो नाम हैं जो आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी को मजबूती देते हैं। इन सभी के साथ कप्तान एरॉन फिंच में भी दम है कि वो भारत के गेंदबाजों पर हावी हो सके।

    गेंदबाजी में पैट कमिंस, मिशेल स्टार्क और जोश हेजलवुड आस्ट्रेलिया की वो तिकड़ी है जो हर जगह कारगर होती दिख रही है। इन तीनों के अलावा केन रिचर्डसन तेज गेंदबाजी में आस्ट्रेलिया को मजबूत करते हैं।

    बेशक इस टीम में वो खिलाड़ी- उस्मान ख्वाजा नहीं है जिन्होंने भारत को उसके घर में हराने में मदद की थी, लेकिन आस्ट्रेलियाई सिस्टम ने अपने आप को दोबारा वहां लाकर खड़ा कर दिया है जहां वो किसी एक खिलाड़ी की टीम नहीं है।

    यही आस्ट्रेलिया की पहचान हुआ करती थी और अब एक बार फिर दिग्गज खिलाड़ियों के संन्यास, विवादों को पीछे छोड़ आस्ट्रेलिया अपने आप के रिवाइवल में सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही है।

    2020 उसके लिए बेहद अहम है क्योंकि 2019 में जो प्रक्रिया उसने शुरू की थी इस साल वो मुकाम तक पहुंचने और फिर उस पर बने रहने की जद्दोजहद भी करेगी। याद यह भी रखना जरूरी है कि इसी साल आस्ट्रेलिया में टी-20 विश्व कप खेला जाना है। वनडे में पांच बार खिताब जीतने वाली टीम टी-20 में एक भी विश्व कप नहीं जीत पाई है।

    इस सूखे को खत्म करने का इससे शानदार मौका आस्ट्रेलिया को शायद ही मिले। वो भी इस बात को जानती है और इसलिए भारत दौरा उसकी तैयारी के लिहाज से भी काफी अहम है। कप्तान एरॉन फिंच कह चुके हैं कि उनकी टीम का लक्ष्य 2020 में भारत को उसी के घर में हराना है। ऐसा करते हुए फिंच सबसे मजबूत टीम के तौर पर अपनी टीम को लोहा दुनिया भर में मनवाना चाहते हैं।

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