डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को दोबारा उच्च आयात शुल्क के लिए भारत पर हमला बोला है और कहा कि “भारत के शुल्क को ज्यादा समय तक स्वीकार नहीं किया जायेगा। भारत ने लम्बे समय से अमेरिका के उत्पादों पर अत्यधिक शुल्क थोप रखा है। इन्हें ज्यादा समय तक बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।”
भारत को उच्च शुल्क के लिए कोसा
हाल ही में भारत और अमेरिका दोनों देशों के बीच व्यापार मामले पर उपजे मतभेदों पर चर्चा करने के लिए सहमत हो गए थे। बीते महीने डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने जापान के ओसाका शहर में आयोजित जी-20 के सम्मेलन के इतर मुलाकात की थी।
डोनाल्ड ट्रम्प ने निरंतर उच्च आयात शुल्क के लिए भारत की आलोचना की है। नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने नाराम्म रुख अपनाया था और बातचीत के जरिये व्यापार मतभेदों को सुलझाने पर अपनी रजामंदी का इजहार किया था।
दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता थोप्द धीमी पड़ गयी थी जब अमेरिका ने भारत से व्यापार तरजीह देश का दर्जा छीन लिया था। जीएसपी को साल 1974 में लागू किया गया था और यह अमेरिका की सबसे बड़ी और पुरानी करिबार तरजीह स्कीम हैं और यह लाभार्थी देशों के हजारो उत्पादों को बगैर किसी शुल्क के देश में आयात की अनुमति प्रदान करती है।
भारत का प्रतिकार
इसके प्रतिकार में भारत ने भी 25 अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क को बढ़ा दिया था। हाल ही में अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पियो ने भारत की यात्रा की थी और उन्होंने एस जयशंकर के साथ व्यापार मामले पर भी बातचीत की थी। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि “दोनों देशों के बीच कारोबार को आसान बनाने के लिए भारत प्रतिबद्ध है।”
बीते वर्ष अमेरिका ने स्टील और एल्मुनियम पर आयात शुल्क को बढ़ा दिया था जिसके प्रतिकार में भारत ने अतिरिक्त शुल्क का ऐलान किया था। माइक पोम्पियों ने अपने बयान में कहा कि “महान दोस्तों के बीच असहमति का दौर बना रहता है। वांशिगटन और नई दिल्ली को व्यापार मतभेदों को सुलझाने की जरुरत है क्योंकि दोनों देशों के समक्ष लाखों अवसर हैं।