भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत-जापान पांचवे वार्षिक सम्मेलन में शरीक होने के लिए जापान की यात्रा पर गए थे। जहां वह अपने समकक्षी शिन्जो आबे से मिले थे। इस मुलाकात के दौरान भारत और जापान ने 75 बिलियन डॉलर की द्विपक्षीय मुद्रा के विनिमय पर हस्ताक्षर किये थे।
भारत और जापान रणनीतिक साझेदारी की मजबूती के लिए रक्षा उअर विदेश मंत्रालयों के मध्य 2+2 वार्ता की शुरुआत करेंगे। साथ ही श्रीलंका, म्यांमार और बांग्लादेश में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का निर्माण करेंगे। बैठक के बाद संयुक्त बयान में दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों ने विनिमय समझौते का स्वागत किया था।
सरकारी अधिकारी ने कहा कि मुद्रा का विनिमय समझौता हालिया वित्त घाटे पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। यह वित्त और मुद्रा बाज़ार के लिए अच्छा संकेत है। इस सम्मलेन में रविवार के पूरे दिन अनौपचारिक वार्ता हुई थी। साझा बयान में भारत और जापान के रिश्ते का नया दौर बताया। उन्होंने कहा कि शांति, समृद्धि और स्थिरता में सहयोग करके इन रिश्तों को मजबूती प्रदान करेंगे।
दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को मुक्त और खुला होने की प्रतिबद्धता को दोहराया था। मीडिया के मुखातिब होकर नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जापान और भारत के सहयोंग के बिना 21 वीं शताब्दी एशिया के लिए मुनासिब नहीं होगी। उन्होंने कहा कि शिंजो आबे और मैं रक्षा और विदेश मंत्रालय के मध्य 2+2 वार्ता के आयोजन के लिए रजामंद है। इस वार्ता का मकसद विश्व में शांति और स्थिरता का प्रचार करना है।
साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि दोनों राष्ट्र साइबर तकनीक में डिजिटल पार्टनरशिप के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा कि है एक विभाग में हम अपनी साझेदारी को मज़बूत करेंगे। जापान ने मुंबई-अहमदाबाद रेलवे प्रोजेक्ट के लोन के लिए भारत को दस्तावेज सौंपे है। जापान बुलेट ट्रेन परियोजना में 80 फीसदी आर्थिक सहयोग कर रहा है। जापान ने 0.1 प्रतिशत पर भारत को 79000 करोर का लोन दिया है। भारत को यह कर्ज 50 साल तक चुकाना है।
दोनों नेताओं ने परमाणु निरस्त्रीकरण की प्रतिबद्धता को दोहराया था। पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि किसी मुल्क की सरकार को अपनी सरजमीं आतंकी हमलों के लिए नहीं देनी चाहिए। पाकिस्तान को सभी पड़ोसी देश आतंकियों का सुरक्षित पनाहगार कहते हैं।