भारत ने शनिवार को कुछ देशों में रह रहे खालिस्तानी समर्थकों द्वारा जनमत संग्रह 2020 की आलोचना की और उन्होंने चिंतित राष्ट्रों के समक्ष अपना विरोध व्यक्त किया, यह विभाजन के सामान्य है। अलगाववादी सिख संगठन, सिख फॉर जस्टिस ने दावा किया कि अंतरार्ष्ट्रीय हिमायती समूह सिखों के अधिकार लिए पंजाब स्वतंत्रता जनमत संग्रह 2020 कार्य कर रहे हैं।
इस संगठन को पाकिस्तान का ख़ुफ़िया विभाग कथित तौर पर समर्थन करता है और वित्तपोषित भी करता है।
ANI के सूत्रों के मुताबिक “कथित जनमत संग्रह का आयोजन किया जायेगा वो भी उनके द्वारा जो भारतीय नागरिक नहीं है और किसी अन्य देश के नागरिक है, यह अनुचित है। नागरिक जनमत संग्रह को अलगावाद के तुल्य मान रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि “जनमत संग्रह 2020 सिर्फ विदेशी सिख समुदाय से सम्बंधित है। भारत ने सम्बंधित देशों को अवगत करा दिया है कि यह सिख समुदाय का बहुत छोटा से भाग है। अधिकतर सिख शान्ति प्रिय है और उनका फोकस नौकरी और विकास है।”
सूत्रों के मुताबिक अमेरिका और कनाडा में उपस्थित संगठनों ने भी भारत के पंजाब राज्य के युवाओं को पैसों ला लालच दिया था। हाल ही में पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी समर्थकों ने भारत विरोधी नारे लगाए थे।
ख़बरों के मुताबकि बीते वर्ष भारतीय सिख श्रद्धालुओं को पाकिस्तान के गुरुद्वारे में खालिस्तानी समर्थक बैनर दिखाए गए थे और इसके साथ ही सिख श्रद्धालुओं को मिलने गए भारतीय राजदूतों को जबरन सच्चा सौदा गुरुद्वारा छोड़ने के लिए विवश कर दिया गया था। वह चावला ही था जिसने राजनयिकों को गुरूद्वारे से बाहर निकाला था।
जाहिर है जब से बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हुआ है तब से पाकिस्तान की सेना भारत से बदला लेने की कोशिश कर रही है। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की कोशिश है कि वे जम्मू कश्मीर और पंजाब के जरिये भारत को तोड़ने की कोशिश करें।
1980 के दशक में जब खालिस्तान विवाद अपने चरम पर था उस समय पाकिस्तान अपने देश में कुछ खालिस्तानियों को प्रशिक्षण दे रहा था और उन्हें भारत के पंजाब में आतंकवाद फैलाने के लिए भेजता था। 1984 के बाद भारत नें इसपर काबू पा लिया था लेकिन अब भी कनाडा जैसे देशों से लोग खालिस्तान का समर्थक कर रहे हैं।